रविवार, 1 फ़रवरी 2009

मेरा घर


कितना प्यारा कितना सुंदर
सबसे अच्छा है मेरा घर।

राजाओं के महलों जैसा
नहीं बना है मेरा घर
फ़िर भी मैं रहता हूँ इसमें
क्योंकि यह है मेरा घर।
कितना प्यारा.....................

रोज सुबह खपरैले पर आ
गौरैया एक गीत सुनाती
हुआ सबेरा उठ जाओ तुम
कह कर के वह मुझे जगाती।
कितना प्यारा………...........

दौड़ दौड़ जब थक जाता मैं
मेरी मैया मुझे बुलाती
प्यार से अपनी गोद में लेकर
लोरी गाकर मुझे सुलाती।

कितना प्यारा कितना सुंदर
सबसे अच्छा है मेरा घर।
००००००००००००००००००
हेमंत कुमार

6 टिप्‍पणियां:

  1. खुशनुमा हवा बिखेरती सुंदर रचना
    नया अंदाज, नयी बोल........

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  2. Respected Hemant Sir,
    Apka bachchon ka blog bahut hee badhiya dhang se shuru kiya gaya hai.is samaya bal sahitya kee kafee kamee hai.meree shubhkamna hai ki Fulbagiya is kamee ko poora karne men sahayak hoga.

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  3. सुंदर बगिया का अच्छा चित्रण परन्तु उपर काला चित्र कविता से मेल नहीं खता

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  4. पहली बार शीर्षक पढ़ने पर लगा कि शायद 'फुलबरिया' है, जो लालू प्रसाद यादव जी का घर है। उन्होंने भी अपने घर-बार को इसी तरह सजाने का प्रयास किया है। वैसे आपकी फुलबगिया काफी अच्छी है।
    श्याम बाबू शर्मा
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