शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

बैलगाड़ी


चर्र चूँ चर्र चूँ
चर्र चूँ चर्र चूँ
गीत सुनाए बैलगाड़ी।
ढेरों बोझा
और सवारी
पीठ पे लादे बैलगाड़ी।
चर्र चूँ…………….....।

कच्ची हों
या पक्की सड़कें
झूम के चलती बैलगाड़ी।
गावं शहर
कस्बे के रस्ते
नाप रही है बैलगाड़ी।
चर्र चूँ…………….....।

सूखे जब
पहियों का तेल
गा के मांगे बैलगाड़ी।
थक जाते जब
इसके बैल
रुक जाती है बैलगाड़ी।


चर्र चूँ चर्र चूँ
गीत सुनाए बैलगाड़ी।
००००००००००
हेमंत कुमार



सोमवार, 23 फ़रवरी 2009

कौवे का स्कूल


कौवे ने इक पेड़ के नीचे
खोल लिया स्कूल
पहले दिन ही सभी जानवर
बस्ते आए भूल ।


गुस्साए कौवे ने फ़ौरन
उठा लिया बस रूल
लगा पीटने सबको जैसे
झाड़ रहा हो धूल।

भागे भागे सभी जानवर
पहुंचे शेर के पास
शेर ने डाटा जब कौवे को
फेंका उसने अपना रूल।
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हेमंत कुमार

शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

हवा चली


वा चली भई हवा चली
सर सर सर सर हवा चली
फर फर फर फर हवा चली।

धूम मचाती हवा चली
रंग उड़ाती हवा चली
खुशियाँ ले कर हवा चली
बांसों के झुरमुट से भइया
गीत सुनाती हवा चली।
हवा चली………………।




पतंग उड़ाती हवा चली
गुब्बारे ले हवा चली
पंखे झलती हवा चली
फूलों से खुशबू ले करके
उसे बाँटने हवा चली।

हवा चली भई हवा चली
सर सर सर सर हवा चली
फर फर फर फर हवा चली.
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हेमंत कुमार

बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

बालगीत

कई अजूबे हम बच्चों को
दिखलाता है सर्कस
नीचे सर तो ऊपर पैर
करवाता है सर्कस।
कई अजूबे……………।

हाथी जी से रिक्शागाड़ी
बन्दर जी से रेलगाड़ी
मिट्ठू जी से मोटरगाड़ी
जोकर जी से छकड़ा गाड़ी
चलवाता है सर्कस।
कई अजूबे……………।

मुर्गा जी के सर पे अंडा
भालू जी की पीठ पे डंडा
बिल्ली जी की पूँछ पे हंडा
चीते जी की मूंछ पे बन्डा
रखवाता है सर्कस।

कई अजूबे हम बच्चों को
दिखलाता है सर्कस।
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हेमंत कुमार

बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

ताक धिना धिन

ताक धिना धिन ताक धिना धिन
भालू करता ताकधिनाधिन
बन्दर फुनगी पर जा पहुँचा
नाच के बोला ताक धिना धिन।

कोयल जोर जोर से कूकी
तोता छोड़ के आया काम।
गधे की चीपों चीपों सुन के
घोड़ा दौड़ा हिन् हिन् हिन्।

गुफा से चीता बाहर आया
हाथी सूंड उठा चिल्लाया।
सोया जंगल जाग उठा जब
शेर भी नाचा ताक धिना धिन।

ताक धिना धिन ताक धिना धिन
भालू करता ताक धिना धिन।
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हेमंत कुमार

रविवार, 8 फ़रवरी 2009

मंत्री बन्दर मस्त कलंदर

शेर को एक नए गृह मंत्री की खोज थी। उसने सोचा किसे मंत्री बनाऊ । चीता को…वह चालक तो था पर गुस्सैल बहुत था,हाथी ठहरा आलसी। सियार तो पक्का चोर था। आखिर किसे बनाये मंत्री..?
एक दिन बैठे बैठे शेर को उपाय सूझ गया। उसने कुत्ते को बुलवाया। उससे बोला —“जंगल में डुगडुगी पीट दो। अगले हफ्ते सारे जानवर जंगल के बीच इकट्ठे हों। वहां एक खेल होगा। पेडों के बीच एक घडा लटका रहेगा। जो बिना पेड़ पर चढ़े सबसे ऊंचा कूदकर घडा फोड़ेगा। वही मेरा गृह मंत्री बनेगा।”
अगले दिन सारे जानवर जुट गए। कोई दूर तक दौड़ कर कूदता। कोई ऊंचे पेड़ पर से कूदने का अभ्यास करने लगा। जंगली मुर्गे और तीतर भी अभ्यास में जुट गए.
अब भला पानी वाले जीव पीछे कैसे रहते?मछलियाँ पानी से सर निकाल कर ऊपर उछलने लगीं। कछुए चट्टानों पर से पानी में कूदने लगे।
कुछ जानवरों ने अपना खाना बढ़ा दिया। जिससे उनमें ताकत आए। वे ऊँचा कूद सकें। पूरे जंगल में बस एक जानवर चुप था। वह था बन्दर। वह पेड़ की ऊंची टहनी पर बैठा रहता। चुपचाप तमाशा देखता। कोई पूछता तो कहता, “मैं तो बन्दर मस्त कलंदर उछलूँ कूदूं डाल डाल पर।” जानवर हैरान हो उसे देखते। वह खी खी करके हंस देता।
धीरे धीरे खेल का दिन आ गया। सबेरे से ही जंगल के बीच वाले मैदान में जानवर आने लगे। सब एक से एक कपडे पहने हुए। तरह तरह के जूते पहने हुए। किसी किसी ने टोपी भी पहन रखी थी। पर अपना बन्दर एकदम सादे कपडों में आया। उसके हाथ में एक पतला बांस था। चीते ने देखा तो कहा, “बांस से घड़ा फोड़ोगे…शेर तुम्हें खा जाएगा।” बन्दर ने कहा, “मैं हूँ बन्दर मस्त कलंदर।” और हंस पड़ा दांत निकल कर।
अंत में शेर आया। खेल शुरू हुआ। दो पेडों के बीच एक घड़ा टंगा था। पहले चीता आगे आया। दूर से दौड़ा…..उछला पर भद्द से गिरा जमीन पर। सारे जानवर हंस पड़े।
सियार आया। वह जोर से हुआ हुआ चिल्लाया और कूदा। पर वह घडे तक नहीं पहुँचा। सारे जानवरों के साथ शेर भी हंस पड़ा।
मुर्गा और तीतर पेड़ पर चढ़ गए। छलांग लगाई। पर घडे तक आने से पहले नीचे गिर गए। मुर्गे की एक टांग टूटी । तीतर के पंख गिरे। शेर ने सोचा लगता है मुझे मंत्री नहीं मिलेगा। तभी बन्दर पतला बांस ले कर उठा। शेर ने डाटा , “बांस से घड़ा मत फोड़ना।”
बन्दर ने कहा, “मैं हूँ बन्दर मस्त कलंदर।” उसने बांस जमीन पर रखा। उसे हलका सा झटका दिया। अगले पल वह घडे के पास । उसने बांस छोड़ा। घड़ा फोड़ा। और रस्सी पकड़ कर लटक गया।
शेर बोला,“शाबाश….बन्दर शाबाश। तू बुद्धिमान है। मेरा मंत्री बन जा।” सारे जानवर तालियाँ बजाने लगे।
बन्दर रस्सी से लटक कर नीचे आया। शेर के आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया। शेर ने उसे माला पहनाई,फ़िर बोला----

ये था बन्दर मस्त कलंदर
घूमा करता डाल डाल पर
पर अब मेरे साथ रहेगा
मेरा प्यारा मंत्री बनकर।
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हेमंत कुमार

बुधवार, 4 फ़रवरी 2009

बालगीत

बन्दर जी की चिंता
कंप्यूटर पर बैठे देखो
अपने प्यारे बन्दर जी
गूगल सर्च पे क्लिक किया
और लगे ढूँढने जंगल जी।

पूरब ढूँढा पश्चिम ढूँढा
उत्तर दक्खिन घूमे जी
दुनिया का हर कोना ढूँढा
नहीं मिला पर जंगल जी।

चिंता हुयी उन्हें फ़िर भारी
पायें कहाँ चुकंदर जी
कट जायेंगे जंगल सारे
रहें कहाँ सब बन्दर जी।
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हेमंत कुमार

रविवार, 1 फ़रवरी 2009

मेरा घर


कितना प्यारा कितना सुंदर
सबसे अच्छा है मेरा घर।

राजाओं के महलों जैसा
नहीं बना है मेरा घर
फ़िर भी मैं रहता हूँ इसमें
क्योंकि यह है मेरा घर।
कितना प्यारा.....................

रोज सुबह खपरैले पर आ
गौरैया एक गीत सुनाती
हुआ सबेरा उठ जाओ तुम
कह कर के वह मुझे जगाती।
कितना प्यारा………...........

दौड़ दौड़ जब थक जाता मैं
मेरी मैया मुझे बुलाती
प्यार से अपनी गोद में लेकर
लोरी गाकर मुझे सुलाती।

कितना प्यारा कितना सुंदर
सबसे अच्छा है मेरा घर।
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हेमंत कुमार