शनिवार, 28 मार्च 2009

बालगीत ---नाचा मोर



नाचा मोर नाचा मोर
जंगल में तो मच गया शोर।

बादल छाये बिजली चमकी
ठंढी हवा चली जंगल में
सुंदर पंख फैलाकर अपने
लगा थिरकने सुंदर मोर।

पिऊ पिऊ जब बोला मोर
भालू जी ने उठाई ढोल
कोयल मीठे स्वर में बोली
नाचेगा देखो अब मोर।

ठुमक ठुमक फ़िर नाचा मोर
झूम झूम कर नाचा मोर
दायें बाएं घूम घूम कर
ऊपर नीचे कूद कूद कर
नाच उठा जंगल में मोर।

नाचा मोर नाचा मोर
जंगल में तो मच गया शोर।
०००००००००००
हेमंत कुमार
इस गीत के साथ लगे दोनों चित्र
मेरे मित्र प्रसिद्ध चित्रकार राजीव मिश्रा ने बनाये हैं

रविवार, 22 मार्च 2009

बाल गीत -मेरी नानी








मेरी छोटी बेटी नित्या शेफाली का बाल गीत ........




मेरी नानी
मेरी नानी बड़ी हैं ज्ञानी
रोज सुनाती नयी कहानी
वह हम बच्चों से घिर जातीं
जब घिर आती शाम सुहानी।

हम बच्चों के कहने पर
देश प्रेम की कथा सुनातीं
वीर शिवा की अमर कथा से
हम बच्चों को वीर बनातीं।

भालू बन्दर तोता मैना
परी कथा नित नई नई
दूर देश के राजा मंत्री
सबसे हमको हैं मिलवाती।

गांधी नेहरू और भगत सिंह
रानी लक्ष्मी के बचपन की
हरिश्चंद्र के सत्य प्रेम की
अमर कथाएँ हमें सुनातीं।

मेरी नानी बड़ी हैं ज्ञानी
रोज सुनाती नई कहानी।
०००००००

हेमंत कुमार द्वारा प्रकाशित

शनिवार, 14 मार्च 2009

घर की खोज



जंगल में सबसे अच्छा घर था चुनमुन खरगोश का.जितना प्यारा चुनमुन उतना ही प्यारा घर.एक दिन रामू हाथी घूमने निकला.उसने चुनमुन का घर देखा.उसे लगा उसका भी घर होना चाहिए.चुनमुन के घर जैसा.
रामू ने चुनमुन से कहा,“आज से मैं यहीं रहूँगा.तुम्हारे घर में.”
“क्या मेरे घर में?पर मेरा घर तो छोटा है.”चुनमुन चौंक कर बोला.
रामू ने चुनमुन के घर को फ़िर ध्यान से देखा.एक बार बांयी ओर से.दूसरी बार दांयी ओर से.उसे बात कुछ समझ में आयी.
वह सूंड हिलाता हुआ आगे बढ़ गया.
रामू पहुँचा चींटियों के बिल के पास.उसने बिल के अन्दर झाँकने की कोशिश की.चींटियों ने उसे समझाया.तुम बहुत बड़े हो.बड़ा घर ढूंढो.
वह थोड़ा और आगे बढ़ा.सियार की मांद रामू को काफी बड़ी लगी.रामू ने पूरी मांद का चक्कर लगाया.पर वहां भी उसकी दाल नहीं गली.सियारों ने उसे समझाया,“रामू भइया तुम काफी मोटे हो.कोई बड़ा घर ही खोजो.”
रामू ने गुस्से से मुंह बिचकाया,पैर पटका और आगे बढ़ गया.
अब रामू खड़ा था एक घने पेड़ के नीचे.एक बया ने घोसले से झांक कर रामू को देखा और बोली,“रामू भाई मुझे तंग मत करो.सोने दो.”
“कोई मुझे अपना घर देना नहीं चाहता.मैं एक एक से बदला लूँगा.”रामू गुस्से में बुदबुदाया.वह आगे बढ़ चला.
रामू ने देखा कुछ छोटे चूहे बिल के बाहर खेल रहे हैं.
“हुंह..बिल भी कोई रहने की जगह है.”उसने सोचा और अपने बड़े बड़े कान हिलाता हुआ वहां से चल दिया.
अब रामू ने सोचा शेर तो बड़ा होता है.क्यों न उसका भी घर देख लिया जाए.रामू चल पड़ा शेर की गुफा की ओर.गुफा खाली थी.रामू ने सोचा मौका अच्छा है.वह तेजी से गुफा के अन्दर घुसा.पर यह क्या?गुफा में उसकी पीठ फंस गयी.अब न वह आगे जा पा रहा था न पीछे.बहुत कोशिश करने के बाद वह किसी तरह से बाहर आया.
बाहर आकर उसने खुली हवा में साँस ली .अपना पसीना सुखाया.अब तक रामू समझ चुका था कि उसका घर खुले मैदान में ही है.वह चल पड़ा नदी की ओर अपनी थकान मिटाने के लिए.
***********
हेमंत कुमार

बुधवार, 11 मार्च 2009

होली का हुड़दंग




सुबह सबेरे जंगल में
मचा हुआ था हंगामा
तिरछे मिरछे कूद रहे थे
अपने प्यारे बन्दर मामा।

खीस निपोरे बंदरिया मामी
नीचे बैठी चिल्लाई
सूझा क्या सनकी बन्दर को
जाने किसकी शामत आयी।

हँसे जोर से भालू दादा
बंदरिया की सुनके बात
बात न समझेंगे अब मामा
नहीं होश में अपने आज।

शेर के घर होली की दावत
सबने खूब किया हुड दंग
मामा अब क्यों रहते पीछे
छक कर पी ली भंग।
---------
कवियत्री:पूनम
झरोखा .ब्लागस्पाट .कॉम
हेमंत कुमार द्वारा प्रकाशित



गुरुवार, 5 मार्च 2009

बालगीत




आज का ताजा है अख़बार
खबरें छपी मसालेदार।

शादी करने बन्दर मामा
लेकर चले बारात
मचल गए वे बीच राह में
कर बैठे उत्पात
अड़े हुए थे एक बात पर
पहले दहेज़ में कार।
आज का ताजा है अख़बार....।

उल्लू चोंच दबा कार भागा
नेताजी की टोपी
नेताजी को गुस्सा आया
ले ली मदद पुलिस की
नेताजी ने लड़ा मुकदमा
गए बेचारे हार।
आज का ताजा है अख़बार।

चुहिया चोरी करके लाई
एक मेम की साड़ी
प्रेमी चूहे के संग पकड़ी
दूर देश की गाड़ी
बीच राह चूहे ने छोड़ा
कौन लगाये पार।
आज का ताजा है अख़बार।

हुआ शहर में एक हादसा
लोग रह गए दंग
हाथी से टक्कर लेने को
मच्छर पहुँचा पीकर भंग
शेष हाल कल के पन्नों पर
भूल न जाना यार।
आज का ताजा है अख़बार ।
********
कवि-कौशल पांडेय
हिन्दी अधिकारी
आकाशवाणी,पुणे(महाराष्ट्र)
मोबाईल न:09823198116
पोस्टेड बाई-हेमंत कुमार