रविवार, 28 जून 2009

बालगीत-- बरखा रानी



झम झम झम झम बरसा पानी
आई प्यारी बरखा रानी
दुखी हुई अब धूप सुहानी
जब से आई बरखा रानी ।

झूम झूम कर नाच रहे हैं
सभी वृक्ष जंगल में
धन्यवाद दे्ते बादल को
मोर पपीहे नाच नाच के ।

खेलो कूदो मौज करो तुम
आज के इस मौसम में
नाव बना लो इक कागज की
तैरा दो उसको पानी में ।

लेकिन कर लो थोड़ी पढ़ाई
नहीं पड़ोगे तुम चिन्ता में
स्कूल खुलेगा अब जल्दी ही
वहां भी खेलोगे पानी में ।
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नित्या शेफाली का बालगीत
हेमंत कुमार द्वारा प्रकाशित



















शुक्रवार, 19 जून 2009

बालगीत--नन्हीं चुहिया


नन्हीं चुहिया चली अकड़कर,
दाना दांत दबाए,
है कोई क्या ऐसा,
जो मुझसे रेस लगाये।

सुनकर चुहिया की बानी,
बोली बिल्ली खिसियानी,
इक दिन लाऊंगी रस्ते पर,
याद आएगी तुझको नानी।

बिल्ली बैठी रस्ते पर,
इक दिन घात लगाए,
दिख जाए जो चुहिया,
उसको धर लूं पांव दबाय।

घूम घाम कर चुहिया पहुंची,
खाने बाग के आम,
मार झपट्टा मौसी ने,
किया उसका काम तमाम।
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कवियत्री :पूनम का बालगीत
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित



मंगलवार, 16 जून 2009

बालगीत -भालू की साइकिल


भालू लेकर आया साइकिल कितनी प्यारी कितनी सुन्दर,
कितनी प्यारी कितनी सुन्दर दौड़े देखो कैसी सर सर।

भालू उछल सीट पर बैठा और लोमड़ी पीछे,
फ़िर पैडल पर जोर लगाकर भालू साइकिल खींचे,
पीछे भागे मोती कुत्ता साथ में रामू बंदर,
भालू लेकर आया साइकिल कितनी प्यारी कितनी सुन्दर।

हाथी दादा बोले हम भी बैठेंगे साइकिल पर,
चढ़े सीट पर जैसे ही वे साइकिल बोली चर चर,
भालू रोया अपनी टूटी फ़ूटी साइकिल देखकर,
भालू लेकर आया साइकिल कितनी प्यारी कितनी सुन्दर।

भालू लेकर आया साइकिल कितनी प्यारी कितनी सुन्दर,
कितनी प्यारी कितनी सुन्दर दौड़े देखो कैसी सर सर।
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गीतकार-डा0 अरविन्द दुबे
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित
*पेशे से चिकित्सक एवम शिशु रोग विशेषज्ञ डा0 अरविन्द दुबे
बाल एवम विज्ञान साहित्य लेखन के क्षेत्र में एक चर्चित एवम प्रतिष्ठित
हस्ताक्षर हैं।




शुक्रवार, 12 जून 2009

सूरज


रोज सबेरे आता सूरज,
हंसता और मुस्काता सूरज,
अंधियारे को दूर भगाकर,
उजियारे को लाता सूरज।
रोज सबेरे--------------।

कभी सुनहली कभी लाल और,
पीली गेंद बनाता सूरज,
रोज सबेरे पूरब में उग,
शाम को पश्चिम जाता सूरज।
रोज सबेरे------------------।

धूप रोशनी गर्मी देकर,
जाड़ा दूर भगाता सूरज,
सतरंगी किरणों से अपनी,
नई छटा बिखराता सूरज।
रोज सबेरे आता सूरज,
हंसता और मुस्काता सूरज।
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हेमन्त कुमार