सोमवार, 17 मार्च 2014

ऐनक-----।

बाबा जी की ऐनक देखो
कितनी प्यारी ऐनक
खबर पढ़ाती बाबा जी को
दिल्ली से लंदन तक।

बाबा जी की पतली है पर
दादी की मोटी ऐनक
क्यों मेरे नाना नानी जी भी
नहीं लगाते ऐनक।

चाचा चाची मामा मामी
सबकी काली ऐनक
पर मेरे मम्मी पापा की
रंग बिरंगी ऐनक।

मैं भी जब मेले जाती हूं
लाती सुंदर ऐनक
पर शीशे की नहीं है होती
पन्नी की मेरी ऐनक।
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नित्या शेफ़ाली

सोमवार, 10 मार्च 2014

पिंकी के बिल्ले ---।


  पिंकी के घर दो थे बिल्ले
दोनों बड़े चिबिल्ले।
धमा चौकड़ी सबसे करते
राजू दीपू टिल्ले।


पिंकी पढ़ने जैसे बैठे
बगल में बैठें बिल्ले।
गीत शुरू करती ज्यों पिंकी
नाचें दोनों बिल्ले।

इक दिन पिंकी गयी बाजार
साथ थे उसके बिल्ले।
आगे आगे पिंकी चलती
पीछे पीछे बिल्ले।

पिंकी ने थी टिक्की खाई
रबड़ी दोंनों बिल्ले।
पिंकी रास्ता भूल गयी जब
घर ले आये बिल्ले।
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डा0हेमन्त कुमार