शनिवार, 22 अगस्त 2020

थंडरहिट और टाइम मशीन

 वरिष्ठ बाल साहित्यकार और मेरे पिता आदरणीय श्री प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव जी ने अपने अंतिम दिनों में अपना दूसरा बाल उपन्यास मौत से दोस्ती लिखा था।दुर्भाग्य  यह बाल उपन्यास पिता जी के जीवनकाल में प्रकाशित नहीं हो सका था।मुझे इस उपन्यास का शीर्षक आपरेशन थंडरहिट ज्यादा ठीक और उपयुक्त लग रहा है ।इसलिए मैं पिता जी का यह उपन्यास आपरेशन थंडरहिट अपने ब्लॉग फुलबगिया पर सीरीज के रूप में प्रकाशित कर रहा।आज पढ़िए इस उपन्यास का तीसरा भाग)

3. थंडरहिट और टाइम मशीन

नील बचपन से ही बड़ा प्रतिभाशाली था।विज्ञान में उसकी विशेष रूचि थी। एक से बढ़कर एक मशीनेंउसकी कल्पना में आती रहती थी। इसके लिए वह अपने वैज्ञानिक मित्रों के साथ किसी न किसी प्रयोगशाला में डटा रहता।वे जो कल्पनाएं करते,उन्हें पूरी करने में जी-जान से जुट जाते।उसे पूरा करने के बाद ही उन्हें कुछ नया करने का संतोष मिलता, इसी तरह थंडरहिट का भी जन्म हुआ।

थंडरहिट एक अजीब महाशक्तिशाली मोटर बोट थी।एक चमत्कारी आविष्कार।वह न केवल पानी पर चलने वाली मोटर बोट थी,बल्कि पनडुब्बी की तरह घंटों पानी के भीतर रह सकती थी।हवा में उसे यान की तरह उड़ाया जा सकता था।

पहले उसे वन सीटर बनाने की बात थी।मगर नासा के अवकाश प्राप्त वैज्ञानिकों ने उसे टू सीटर बना दिया।इन वैज्ञानिकों की सलाह और सहयोग से ही थंडरहिट इतनी चमत्कारी बन सकी।इसमें अत्यंत शक्तिशाली 03 इंजन लगे हुए थे।उन्हें आवश्यकतानुसार एक साथ ही चलाने या एक ही इंजन से काम लेने की व्यवस्था थी।

वैज्ञानिकों ने उसमें एक रॉकेट लांचर भी फिट किया था।उसके लांचिंग पैड पर एक छोटा सा रॉकेट भी तैयार था।था तो वह छोटा,मगर बड़ा ही विनाशकारी।इसीलिए वैज्ञानिकों ने उसे किसी मुश्किल समय में उपयोग करने की अनुमति दी थी।वह भी उनकी पूर्व अनुमति लेकर,क्योंकि वे जानते थे कि इसका गलत प्रयोग हजारों निर्दोष प्राणियों की जान ले सकता है।

मगर सबसे अजीब उसमें एक और व्यवस्था थी।एक बटन दबाते ही,थंडरहिट के तीन मीटर के क्षेत्र में एक सुरक्षा कवच खड़ा हो जाता था।उसके भीतर वायु तक प्रवेश  नहीं कर सकती थी।यह सामान्य ईंधन के अलावा सौर ऊर्जा से भी चल सकती थी।इस थंडरहिट में पैराशूट भी लगा हुआ था,अन्यथा पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति थंडरहिट को भारी नुकसान पहुंचा सकती थी।

नील की तरह ही राबर्ट भी बड़ा प्रतिभाशाली था।एक अच्छे वैज्ञानिक मस्तिष्क वाला।उसने एक ऐसी टाइम मशीन बनायी थी जो दुनियाभर के वैज्ञानिकों में चर्चा का विषय बन चुकी थी।इसमें भी उसने नासा के अवकाश प्राप्त वैज्ञानिकों की मदद ली थी।

इसका कम्प्युटराइज्ड राडार पटल हजारों लाखों किलोमीटर दूर से आने वाली ध्वनि तरंगों को पकड़ लेता था।सूक्ष्म से सूक्ष्म ध्वनि तरंगें उससे बचकर आगे नहीं बढ़ सकती थीं,चाहे वे किसी भी कूट भाषा में हों।उन्हें तुरन्त डी-कोड करने वाली मशीन लगी थी इस टाइम मशीन में।

इन्हीं ध्वनि तरंगों की मदद से वह भविष्य में घटने वाली घटनाओं का संकेत दे सकती थीं।अतीत की घटनाओं को पकड़ सकती थीं।यह सारे गुण उसमें लगे कम्प्युटर में थे।इस कम्प्युटर को बनाने में उसे दसियों प्रयोगशालाओं में काम करना पड़ा था।अनेक वैज्ञानिकों का सहयोग इस टाइम मशीन को फाइनल शक्ल देने में मिला हुआ था।इसीलिए नील और राबर्ट की यह जोड़ी सब जगह मशहूर हो चुकी थी।नील ने एक दिन हंसकर राबर्ट से पूछा-‘‘राबर्ट क्या मैं थंडरहिट का शक्ति परीक्षण कर सकता हूं ?”

‘‘क्यों नहीं।‘‘कहने को तो राबर्ट बोल गया,मगर वह भीतर से चकित था। आखिर नील करना क्या चाहता है ?क्यों उसने यह बात की थी।

‘‘राबर्ट,मैं अपने थंडरहिट को आकाश में ले जाना चाहता हूं।‘‘

इस बार राबर्ट भी मुस्कराकर बोला-‘‘नील क्यों मेरा सिर खा रहे हो ?

नील ने भी मुस्कराकर जवाब दिया-‘‘क्योंकि वह मुझे बड़ा टेस्टी लगता है।

राबर्ट गंभीर होकर बोला-‘‘मजाक छोड़ो,चलो कर लो परीक्षण लेकिन यह तो बताओ कि तुम आकाश में जाना किधर चाहते हो ?‘‘

‘‘मैं देखना चाहता हूं कि हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां थंडरहिट से कैसी नजर आती हैं।‘‘

सुनते ही राबर्ट का चेहरा गंभीर हो उठा।

‘‘क्या बात है राबर्ट ?‘‘नील थोड़ा उत्सुक हुआ।

‘‘जानते हो वह किसका क्षेत्र है ?

राबर्ट का यह प्रश्न सुनते ही नील समझ गया कि राबर्ट क्या चाहता है,फिर उसे अनेकों पुस्तकों में पढ़ी हुई बातें याद हो आईं।फिर भी पूछा-‘‘तुम्ही बताओ।

‘‘वह देवों के देव महादेव का क्षेत्र है।उस क्षेत्र से उनकी अनुमति के बिना एक चिड़िया भी नहीं गुजर सकती।‘‘

‘‘इतने शक्तिशाली हैं वे ?‘‘नील ने आश्चर्य से पूछा।

‘‘पहले वे मामूली इन्सान थे,मगर अपनी तपस्या और साधना के बल पर वे बन गये मृत्युंजय,देवों के भी देव।अब उनकी शक्ति को कोई चुनौती नहीं दे सकता।किसी ने दी भी तो उसने मुंह की खाई।वे परमपिता परमात्मा की शक्ति का अंश हैं जैसे हमारे क्राइस्ट और खुदा।

‘‘राबर्ट,यह कैलाशवासी शिव और उनकी महाशक्ति सब काल्पनिक बातें हैं।मुझे आश्चर्य है कि तुम्हारे जैसा वैज्ञानिक भी इन बातों पर विश्वास करता है?‘‘ कुछ ऐसा ही नील वाटसन से भी कहना चाहता था,मगर हिम्मत नहीं पड़ी।

‘‘नील मैं तुम्हें कोई प्रवचन नहीं दे रहा हूं।‘‘आगे राबर्ट ने करीब-करीब वही बातें कहीं,जो वाटसन ने कही थी।

राबर्ट बोला-‘‘तुम अवश्य जाओ।थंडरहिट का परीक्षण करो,मगर ध्यान रहे कि किसी भी तरह उस शक्ति की अवमानना नहीं होनी चाहिए।वे तुम्हें दंडित कर सकते हैं।पर नहीं करेंगे।वे बड़े क्षमाशील हैं।इसी से उनका नाम आशुतोष भी है।उनके क्षेत्र में प्रवेश

करने से पहले उन्हें प्रणाम अवश्य कर लेना।मेरे टाइम मशीन के कंपन संकेत दे रहे हैं कि........।‘‘कहता-कहता राबर्ट अचानक चुप हो गया।

नील चौंककर बोला-‘‘राबर्ट तुम कहते-कहते चुप क्यों हो गये।बताओ न तुम्हारी मशीन क्या संकेत दे रही है ?

     राबर्ट बोला,--“नील,तुम दो-तीन साल पहले भारत गये थे।उस समय वहां के कुछ मछुआरों से तुम्हारी दोस्ती हुयी थी।क्यों?”

हां।कृष्णन और अरुण स्वामी।मैं उस समय थंडरहिट बना रहा था।सुन कर वे मेरे दीवाने हो गये।कहने लगे,--“यहां अक्सर कोई न कोई तूफान आता रहता है।सैकड़ों मछुआरे उसमें फंस जाते हैं। आप साल में एक-दो बार यहां आ जाया करें।इससे हमें बड़ी राहत मिलेगी।मैं उनके प्रति वचनबद्ध हो गया।---हां,तुम्हारी टाइम मशीन?”

 

राबर्ट बोला-- मेरी मशीन उसी का संकेत दे रही है।तुम्हें उन्हीं के लिये बीच में लौटना पड़ सकता है।

उस विपत्ति से बचने के लिए तुम्हें महादेव शक्ति की तरंगे भेजेंगे।उन्हें सब पहले से ज्ञात है।वे हम लोगों का कोई अनिष्ट नहीं होने देंगे।

नील राबर्ट के इस लंबे-चौड़े भाषण से ऊब रहा था।उसका धैर्य जवाब दे रहा था।वह हंसकर बोला-‘‘राबर्ट अब मेरे पास वक्त नहीं है।चलो,तुम्हारी टाइम मशीन के संकेत सच हो सकते हैं,लेकिन यही तो मेरे थंडरहिट का शक्ति परीक्षण होगा।चलता हूं।

तुरन्त थंडरहिट बन्दूक से छूटी गोली की तरह ऊपर उठा और आकाश की ऊंचाइयों में खो गया।राबर्ट उस ओर देखता भर रहा।(क्रमशः)

                                     ०००

लेखक-प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव

11मार्च,1929 को जौनपुर के खरौना गांव में जन्म।31जुलाई2016 को लखनऊ में आकस्मिक निधन।शुरुआती पढ़ाई जौनपुर में करने के बाद बनारस युनिवर्सिटी से हिन्दी साहित्य में एम00।उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में विभिन्न पदों पर सरकारी नौकरी।देश की प्रमुख स्थापित पत्र पत्रिकाओं सरस्वती,कल्पना, प्रसाद,ज्ञानोदय, साप्ताहिक हिन्दुस्तान,धर्मयुग,कहानी,नई कहानी, विशाल भारत,आदि में कहानियों,नाटकों,लेखों,तथा रेडियो नाटकों, रूपकों के अलावा प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य का प्रकाशन।

     आकाशवाणी के इलाहाबाद केन्द्र से नियमित नाटकों एवं कहानियों का प्रसारण।बाल कहानियों,नाटकों,लेखों की अब तक पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।वतन है हिन्दोस्तां हमारा(भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत)अरुण यह मधुमय देश हमारा”“यह धरती है बलिदान की”“जिस देश में हमने जन्म लिया”“मेरा देश जागे”“अमर बलिदान”“मदारी का खेल”“मंदिर का कलश”“हम सेवक आपके”“आंखों का ताराआदि बाल साहित्य की प्रमुख पुस्तकें।इसके साथ ही शिक्षा विभाग के लिये निर्मित लगभग तीन सौ से अधिक वृत्त चित्रों का लेखन कार्य।1950 के आस पास शुरू हुआ लेखन एवम सृजन का यह सफ़र मृत्यु पर्यंत जारी रहा। 2012में नेशनल बुक ट्रस्ट,इंडिया से बाल उपन्यासमौत के चंगुल में तथा 2018 में बाल नाटकों का संग्रह “एक तमाशा ऐसा भी” प्रकाशित।