आसमान पर ही रहता क्यों
नीचे नहीं उतरता चांद?
मां बतलाओ क्यों मुझसे
हर रात ठिठोली करता चांद?
दूर-दूर ही चमका करते
ये झिल-मिल झिल-मिल तारे।
पास बुलाऊं तो शरमा जाते हैं
सारे के सारे तारे।
इनसे भी बादल में छुपकर
आंख-मिचौली करता चांद।
मैंने कहा,एक दिन मेरे
आंगन में भी आ जाओ।
दूध-भात की खीर बनी है
मीठी-नीठी खा जाओ।
पर लगता है मेरे जैसे
छुटकू से भी डरता चांद।
आसमान पर ही रहता क्यों
नीचे नहीं उतरता चांद?
000
रचनाकार-रमेश
तैलंग
बाल साहित्य के क्षेत्र में श्री रमेश तैलंग से
हर पाठक परिचित है। 1965 से शुरू हुयी आपकी बाल साहित्य की यात्रा आज भी जारी।बाल
साहित्य की कई पुस्तकें प्रकाशित। लम्बे समय तक
हिन्दुस्तान टाइम्स समूह के साथ कर्य करने के
उपरान्त अब स्वतन्त्र लेखन। फ़ेसबुक पर “World of Children’s Literature” समूह की स्थापना करके पूरे देश के बाल साहित्यकारों को एक साथ इकट्ठा
करने का प्रयास। सम्पर्क--09211688748