सोमवार, 17 जनवरी 2022

धूप दिखी तो

 

धूप दिखी तो


 

जाड़े में सूरज दिखते ही

मन करता है नाचूँ गाऊँ।

पार्क से थोड़ी धूप उठाकर

एक छोटे डिब्बे में लाऊं।

 


दादी बाबा के कमरे में

खोल के डिब्बा धूप बिछाऊँ

गजक रेवड़ियां मूंगफली भी

धूप के संग मैं उन्हें खिलाऊँ।


 

बड़ी देर से मेरा शेरू

कूद रहा अपने बोरे पर

धूप में ला कर शेरू को भी

धमा चौकड़ी कुछ कर आऊं।

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हेमन्त कुमार