थोड़ी खट्टी थोड़ी मिट्ठी
दादा जी की आई चिट्ठी।
दादी जी को हुआ जुकाम
खाए थे दो कच्चे आम
उस पर पिया था ठंढा पानी
बोलो है न ये नादानी
अब ना करूंगी गलती ऐसी
कान पकड़ के उट्ठी बैठी
दादा जी की आई चिट्ठी।
नदिया बिल्कुल सूख गयी है
जाने वह क्यों रूठ गयी है
कोयल का कुछ पता नहीं है
बिना बताये चली गयी है
अमराई रहती उदास है
दिखे वहां तो लिखना चिट्ठी
दादा जी की आयी चिट्ठी।
ली है एक कलोरी गैया
बछड़ा मानो तेरा भइया
जब भी गाय को दुहने जाता
खूब जोर से शोर मचाता
तुम होते तो खुश हो जाते
आना जब भी होवे छुट्टी
दादा जी की आयी चिट्ठी।
अपने पापा जी से कहना
भले ठीक हो शहर का रहना
कभी कभी तो आवें गाँव
देखें बचपन के वे ठांव
मम्मी और तुम्हें भी लावें
याद कर रही खेत की मिट्टी
दादा जी की आयी चिट्ठी।
************
रचनाकार: कौशल पाण्डेय
हिन्दी अधिकारी
आकाशवाणी,पुणे(महाराष्ट्र)
मोबाईल न0:०९८२३१९८११६
हेमंत कुमार द्वारा प्रकाशित
दादा जी की आई चिट्ठी।
दादी जी को हुआ जुकाम
खाए थे दो कच्चे आम
उस पर पिया था ठंढा पानी
बोलो है न ये नादानी
अब ना करूंगी गलती ऐसी
कान पकड़ के उट्ठी बैठी
दादा जी की आई चिट्ठी।
नदिया बिल्कुल सूख गयी है
जाने वह क्यों रूठ गयी है
कोयल का कुछ पता नहीं है
बिना बताये चली गयी है
अमराई रहती उदास है
दिखे वहां तो लिखना चिट्ठी
दादा जी की आयी चिट्ठी।
ली है एक कलोरी गैया
बछड़ा मानो तेरा भइया
जब भी गाय को दुहने जाता
खूब जोर से शोर मचाता
तुम होते तो खुश हो जाते
आना जब भी होवे छुट्टी
दादा जी की आयी चिट्ठी।
अपने पापा जी से कहना
भले ठीक हो शहर का रहना
कभी कभी तो आवें गाँव
देखें बचपन के वे ठांव
मम्मी और तुम्हें भी लावें
याद कर रही खेत की मिट्टी
दादा जी की आयी चिट्ठी।
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रचनाकार: कौशल पाण्डेय
हिन्दी अधिकारी
आकाशवाणी,पुणे(महाराष्ट्र)
मोबाईल न0:०९८२३१९८११६
हेमंत कुमार द्वारा प्रकाशित
जब मैं गैया दुहने जाता,
जवाब देंहटाएंबछड़़ा अम्मा कह चिल्लाता।
सारा दूध नही दुह लेना,
मुझको भी कुछ पीने देना।
थोड़ा ही ले जाना भैया,
सीधी-सादी मेरी मैया।
गाँव की मिटटी से जुडी इस कविता में बड़ी ही सोंधी सी खुशबू है
जवाब देंहटाएंजबरदस्त कल्पनाशीलता है इस रचना में
इसके प्रकाशन के लिए हेमंत जी aur kaushal pandey ji ko badhai