
कुछ बन्दर मेरे बाग में आये
धमाचौकड़ी खूब मचाये
पेड़ से तोड़ के पत्ती खाये
पापा जी को गुस्सा आए।
नजर पड़ी उनकी गमलों पर
लगे नोचने फ़ूलों को सब
बन्दरों ने गिराई गमले की माटी
पापा ने दे मारी लाठी ।
दुम दबा कर बन्दर भागे
पापा पीछे बन्दर आगे
बन्दर बोले पें पें पें पें
हम सब बोले हें हें हें हें ।
00000
कु0 नित्या शेफ़ाली का बाल गीत
धमाचौकड़ी खूब मचाये
पेड़ से तोड़ के पत्ती खाये
पापा जी को गुस्सा आए।
नजर पड़ी उनकी गमलों पर
लगे नोचने फ़ूलों को सब
बन्दरों ने गिराई गमले की माटी
पापा ने दे मारी लाठी ।
दुम दबा कर बन्दर भागे
पापा पीछे बन्दर आगे
बन्दर बोले पें पें पें पें
हम सब बोले हें हें हें हें ।
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कु0 नित्या शेफ़ाली का बाल गीत