गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

बालगीत---सूरज भइया


सूरज   भइया  अपने  घर  से,
क्यों रोज सुबह निकल आते हो,
मुंह  धोकर  और  तख्ती लेकर,
क्या  तुम  भी  पढ़ने जाते हो।

तुम  रविवार  को  भी जाते हो,
लेकर  को  जो  अपनी  पट्टी,
कैसा   है     स्कूल   तुम्हारा,
होती   नहीं  कोई भी  छुट्टी ।

तो  फिर  मेरे  गांव  में आओ,
साथ-साथ    पढ़ने    जायेंगे,
जब  होगी  रविवार  की छुट्टी,
खेलेंगे       कूदेंगे     गायेंगे।

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डा0अरविन्द दुबे
पेशे से बच्चों के चिकित्सक डा0 अरविन्द दुबे के अन्दर बच्चों को साधने (हैण्डिल करने),उनके मनोभावों को समझने,और रोते शिशुओं को भी हंसा देने की अद्भुत क्षमता है। उनकी इसी क्षमता ने उन्हें लेखक और कवि भी बना दिया। डा0 अरविन्द कविता ,कहानी के साथ हिन्दी में प्रचुर मात्रा में विज्ञान साहित्य भी लिख रहे हैं।

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