पिंकी के घर दो थे बिल्ले
दोनों बड़े चिबिल्ले।
धमा चौकड़ी सबसे करते
राजू दीपू टिल्ले।
पिंकी पढ़ने जैसे बैठे
बगल में बैठें बिल्ले।
गीत शुरू करती ज्यों
पिंकी
नाचें दोनों बिल्ले।
इक दिन पिंकी गयी बाजार
साथ थे उसके बिल्ले।
आगे आगे पिंकी चलती
पीछे पीछे बिल्ले।
पिंकी ने थी टिक्की खाई
रबड़ी दोंनों बिल्ले।
पिंकी रास्ता भूल गयी जब
घर ले आये बिल्ले।
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डा0हेमन्त कुमार
सुन्दर व् सार्थक अभिव्यक्ति .बधाई
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी है!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज मंगलवार (11-03-2014) के चर्चा मंच पर भी है!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'