बाल कहानी
जंगल में सफाई अभियान
एक बार कानन वन के राजा
शेर सिंह ने अपने दरबार में मंत्रियों की सभा बुलाई तो अचानक इस बुलावे पर सभी
मंत्रीगणों में आपस में काना-फूसी होने लगी की आखिर बात क्या है।जंगल में तो सब
ठीक-ठाक चल रहा है।
खैर, राजा का बुलावा था तो
सभा में जाना तो था ही।सभी मंत्रीगण निर्धारित समय पर सभा में पहुँच गए।
राजा शेर सिंह भी आकर
अपने सिंघासन पर आसीन हुए।उन्होंने एक जोर की दहाड़ मारी और बोलना शुरू किया कि—“आप सभी सोच रहे होंगे कि मैंने अचानक ये सभा क्यों बुलाई?”
तो सभा में फिर थोड़ी हलचल मची।
राजा शेर सिंह ने कहा कि – “चिंता की कोई बात नही।बस मेरे मन में
एक विचार आया तो सोचा की आप सभी मित्रों के सामने अपनी बात रक्खूं।”
सभी एक दूसरे का मुँह देखने लगे।राजा शेर सिंह ने कहा कि-“देखिये
शहर में कितना प्रदूषण फैला हुआ है और उसको रोकने के लिए सरकार पर्याप्त व्यवस्था
भी कर रही है।”
शेर सिंह ने एक बार जोर से जम्हाई ली और आगे फिर बोला—“ दूसरी ओर शहरों के विकास के लिए मनुष्य पेड़ों को तो काट ही रहा है
साथ ही अपने यहाँ का सारा कचरा लाकर हमारे जंगल के बाहर फेंक रहा है जिससे हमारा जंगल भी
प्रदूषित हो रहा है।तो क्यों ना हम भी ऐसी कोई व्यवस्था करें कि हमारा जंगल भी सुरक्षित
बचा रहे।”
शेर के चुप होते ही जानवरों में खुसुर-पुसुर शुरू हो गयी।
शेर सिंह फिर से दहाड़ा—“भाई आपस में खुसुर-पुसुर मत करिए।सब एक एक कर
बारी-बारी अपने विचार रखिये।”
राजा शेर सिंह ने अपनी बात आगे बढाई—“लेकिन एक समस्या है।”
“वो क्या?”सभी
एक साथ बोले।
राजा शेर सिंह ने कहा-“
केवल अपना जंगल सुरक्षित रखने से कोई फायदा नहीं होगा।इसके लिए जरूरी है कि हमारे
आस-पास के जंगल भी साफ़ सुथरे रहें।इसके लिए हम सबको एकजुट होना पड़ेगा।”
तब
इस जंगल के मंत्री बलवान भालू उठ कर खड़े हुए और बोले-“ इसके लिए हमें क्या करना
होगा महाराज?” शेर सिंह ने कहा कि-“हमने
एक उपाय सोचा है।क्यों न हम हर जंगल के राजा को इस अभियान के प्रति जागरूक करें।और
सभी एक साथ मिलकर इस अभियान को पूरा करें।”
राजा के इस विचार का सभी
ने जोरदार तालियों द्वारा स्वागत किया।
अब समस्या ये थी कि हर जंगल में जाकर वहां के राजा को सूचित कैसे किया
जाए? इस काम के लिए झुमरू बन्दर को चुना गया जो जल्दी-जल्दी हर जंगल में जाकर महाराजा
शेर सिंह की ये सूचना सबको पहुंचा सके।
झुमरू बंदर ने अगले दिन से ही फटाफट अपना कार्य शुरू कर दिया और तिन
चार दिनों में ही राजा शेर सिंह को सूचित
कर दिया कि सभी जंगलों के राजा इसके लिए तैयार हैं।और उन्होंने अपना पूरा सहयोग
देने का वादा किया है।यह सुन कर शेर सिंह बहुत प्रसन्न हुए।और इस तरह सभी के सहयोग
से कुछ ही समय में कानन वन के साथ ही उसके आस पास के सभी जंगल साफ़ सुथरे होते चले गए।
००००
लेखिका--पूनम श्रीवास्तव
एक सामान्य गृहणी।देश,समाज,परिवार,प्रकृति को देख उसे अपने अंदर महसूस करके मन में होने वाले मंथन को अक्सर कागज पर कुछ शब्दों का आकार देने की कोशिश करती हैं …।इन्हीं कोशिशों में कभी कविता,कभी गजल तो कभी गीत बन जाते हैं। कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं,लेखों के साथ ही बाल कविताओं कहानियों का प्रकाशन।अभी तक बच्चों के लिए एक चित्रात्मक कहानी “रंग बिरंगी दुनिया” प्रौढ़ों के लिए दो किताबें—“चिट्ठी आई” और “अपना धन” प्रकाशित।प्राथमिक स्कूल की कुछ पाठ्य पुस्तकों में भी बच्चों की कहानी और कवितायेँ प्रकाशित।इन्टरनेट पर इनकी कवितायें,गीत,ग़ज़ल,कहानियां,लेख इनके ब्लाग पर भी पढ़ी जा सकती हैं।
ब्लाग का पता है;
http://jharokha-jharokha.blogspot.com
वाह!बहुत बढ़िया कहानी।
जवाब देंहटाएंसादर