किसान अक्सर कबरी को गाँव की दूसरी गायों के साथ गाँव के बाहर चरने भेजता था.एक दिन मटरू भी कबरी के साथ जाने की जिद करने लगा.कबरी ने उसे बहुत समझाया,पर मटरू नहीं माना.हार कर कबरी उसे ले जाने के लि

घर से बाहर निकलने से पहले कबरी ने मटरू को समझाते हुए कहा---“मटरू बेटा,वहां एक बात का ध्यान रखना।”
“कौन सी बात मां?”मटरू ने पूछा.
“गाँव के बाहर तुम मेरे साथ ही रहना.कहीं इधर- उधर मत जाना,नहीं तो तुम रास्ता भूल जाओगे.”कबरी ने उसे समझाया.
“ठीक है मां…मैं आपके साथ ही रहूँगा।”—मटरू सर हिला कर बोला.
इसके बाद मटरू चल पड़ा---बाहर की सैर करने के लिए.रास्ते भर मटरू धीरे धीरे चलता रहा…मां के साथ.गाँव के बाहर पहुंचकर कबरी दूसरे जानवरों के साथ चरने लगी.अब मटरू उसके पास से हट गया.उसने सोचा कि जब तक मां घास खा रही है,तब तक मैं थोड़ा घूम लूँ.
मटरू चलते चलते दूसरे जानवरों से बहुत दूर निकल आया.जब वह रुका तो उसे एक घना जंगल दिखायी पड़ा.जंगल देख कर वह बहुत खुश हुआ.उसने सोचा कि लगे हाथों जंगल में भी घूम लिया जाय.बस फ़िर क्या था?वह चल पड़ा उछलता कूदता जंगल के अन्दर।
“गाँव के बाहर तुम मेरे साथ ही रहना.कहीं इधर- उधर मत जाना,नहीं तो तुम रास्ता भूल जाओगे.”कबरी ने उसे समझाया.
“ठीक है मां…मैं आपके साथ ही रहूँगा।”—मटरू सर हिला कर बोला.
इसके बाद मटरू चल पड़ा---बाहर की सैर करने के लिए.रास्ते भर मटरू धीरे धीरे चलता रहा…मां के साथ.गाँव के बाहर पहुंचकर कबरी दूसरे जानवरों के साथ चरने लगी.अब मटरू उसके पास से हट गया.उसने सोचा कि जब तक मां घास खा रही है,तब तक मैं थोड़ा घूम लूँ.
मटरू चलते चलते दूसरे जानवरों से बहुत दूर निकल आया.जब वह रुका तो उसे एक घना जंगल दिखायी पड़ा.जंगल देख कर वह बहुत खुश हुआ.उसने सोचा कि लगे हाथों जंगल में भी घूम लिया जाय.बस फ़िर क्या था?वह चल पड़ा उछलता कूदता जंगल के अन्दर।
अभी मटरू जंगल के अन्दर थोड़ी ही दूर गया था कि उसे जोर की आवाज सुनायी पडी.आवाज सुन कर वह बहुत डर गया.उसने सामने देखा तो उसे सामने एक बड़ा सा भालू आता दिखायी पड़ा.भालू मटरू को देखते ही उसके चारों और घूमने लगा और उससे बोला---
“ऐ बछडे तू कहाँ से आया,
क्या है तेरा नाम,
इस जंगल में भटक रहा क्यूं,
किससे तुझको काम?”
भालू की बात सुनकर मटरू रोने लगा.रोते रोते बोला----
“मैं हूँ गाँव से आया भइया,
मटरू मेरा नाम है भइया,
रस्ता भूल गया हूँ घर का,
भटक रहा हूँ जंगल में भइया,
वापस घर पहुँचा दो मुझको,
मेरी मां से मिला दो मुझको.”
भालू उसकी बात सुनकर जोर जोर से हंसने लगा और बोला---
“हा ..हा..हा..,घर से भागा है तू,
रस्ता भूला है तू,
अपनी करनी की ही तो,
सजा पा रहा है तू.”
मटरू भालू की बात सुन कर फ़िर से रोने लगा.भालू उसे रोता छोड़ कर वहां से चला गया.कुछ ही देर बाद एक चीता उधर आ निकला.चीते से भी मटरू ने घर पहुँचाने के लिए कहा.चीता भी उसका मजाक उड़ाकर वहां से चला गया.“ऐ बछडे तू कहाँ से आया,

क्या है तेरा नाम,
इस जंगल में भटक रहा क्यूं,
किससे तुझको काम?”
भालू की बात सुनकर मटरू रोने लगा.रोते रोते बोला----
“मैं हूँ गाँव से आया भइया,
मटरू मेरा नाम है भइया,
रस्ता भूल गया हूँ घर का,
भटक रहा हूँ जंगल में भइया,
वापस घर पहुँचा दो मुझको,
मेरी मां से मिला दो मुझको.”
भालू उसकी बात सुनकर जोर जोर से हंसने लगा और बोला---
“हा ..हा..हा..,घर से भागा है तू,
रस्ता भूला है तू,
अपनी करनी की ही तो,
सजा पा रहा है तू.”

चीते के चले जाने के बाद मटरू बहुत घबराया.उसे अफ़सोस भी हो रहा था कि उसने अपनी मां का कहना क्यों नहीं माना.वह सोच रहा था कि किससे वापस घर जाने का रास्ता पूछे?अचानक उसे एक बन्दर सामने से आता दिखाई पड़ा.बन्दर को देखते ही मटरू दौड़कर उसके पास गया और जोर – जोर से रोने लगा.बन्दर को उसके ऊपर दया आ गयी.वह मटरू के पास आकर उसे चुप कराकर बोला---
“ ऐ बछडे तू कहाँ से आया,
क्या है तेरा नाम?
इस जंगल में क्यों रोता है,
मुझसे क्या है काम?
बन्दर से भी मटरू ने वही बातें कहीं जो उसने भालू और चीता से कहीं थीं.बन्दर उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लागा और बोला----“मटरू ,मैं तुझे घर पहुँचा दूँगा.रास्ता भी बता दूँगा,पर तुझे मेरा एक कहना मानना होगा.”
“हाँ बन्दर काका, मैं आपकी हार बात मानूंगा.आप मुझे बस घर वापस लौटने का रास्ता बता दें.”मटरू रोते रोते बोला.
“देख मटरू तू अभी बहुत छोटा है.तेरा इस तरह अकेले घूमना ठीक नहीं.अब कभी ऐसा मत करना.”बन्दर ने उसे समझाया.

“हाँ काका आप ठीक कह रहे हैं.मां ने भी मुझे समझाया था,पर मैंने उनकी बात नहीं मानी थी.”---मटरू सिसक कर बोला.
“तो अब आगे से ऐसा कभी मत करना.बोलो मेरा कहना मानोगे न?”बन्दर ने उसे समझाते हुए पूछा.
“हाँ काका,अब मैं हमेशा बड़ों का कहना मानूंगा।”—मटरू बोला.
इसके बाद बन्दर ने मटरू को जंगल से बाहर तक पहुँचा दिया.मटरू तेजी से दौड़ता हुआ अपने गाँव की ओर भागा.और जल्द ही अपनी मां कबरी के पास पहुँच गया.दोनों एक दूसरे से मिल कर खूब खुश हुए.
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हेमंत कुमार