मेरे इन नन्हें पौधों पर
कितने सारे आए फूल
रोज सींचती थी मां भी तो
कह कह कर आएंगे फूल।
हरे हरे पत्तों के अन्दर
छिप छिप झांके प्यारे फूल
लगता है जैसे पौधों की
हंसी बने हैं सारे फूल।
मुझको तो तारों जैसे ही
सुंदर लगते हैं सब फूल
कविता और कहानी की सी
पुस्तक लगते हैं सब फूल।
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कवि :दिविक रमेश
श्री दिविक रमेश हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित कथाकार,कवि, एवम बाल साहित्यकार हैं।आपकी अब तक आलोचनात्मक निबन्धों, कविता,बाल कहानियों,बालगीतों की 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।तथा आप कई राष्ट्रीय एवम अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किये जा चुके हैं।वर्तमान समय में आप दिल्ली युनिवर्सिटी से सम्बद्ध मोती लाल नेहरू कालेज में प्राचार्य पद पर कार्यरत हैं।
मोबाइल न0--09910177099
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित।
बहुत ही प्यारी है ये कविता... मुझको भी ये फूल कविता और कहानी की किताब से ही लगते हैं... रंग-बिरंगे प्यारे-प्यारे.....
जवाब देंहटाएंsach me bahut bahut hi pyare hain yepyare phool
जवाब देंहटाएंbachcho ke liye to khas kar jinki muskaan phoolo si hi to hoti hai...
bahut behtreen
poonam
बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंमनभावन...
अनु