हंगामा मच गया गांव में,
जब आया एक सरकस,
मुन्नी गुड्डू मां से बोले,
हमें दिखाओ सरकस।
बैठ के इक्के पर सब पहुंचे,
जहां लगा था सरकस,
लिया टिकट और लगे देखने,
सब बच्चे फ़िर सरकस।
भीड़ देख कर शेर दहाड़ा,
नहीं दिखाना सरकस,
शेर के पीछे सभी जानवर,
छोड़ चले फ़िर सरकस।
जब आया एक सरकस।
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हेमन्त कुमार
हेमंत जी..'सरकस' सुन्दर गीत के लिए आपको बहुत बहुत बधाई..
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट |
जवाब देंहटाएंसतत आभार है ||
सुंदर बाल गीत ..
जवाब देंहटाएंहेमंत जी:
जवाब देंहटाएंअच्छे और सारगर्भित बाल-गीत लिखना बहुत कठिन है. आपने एक सुन्दर बाल-गीत रचा है, इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं. आपके लिए बहुत शुभकामना!
संजय माथुर
बहुत ही प्यारा बाल गीत।
जवाब देंहटाएंसादर
बच्चों के लिए प्यारी कविता...
जवाब देंहटाएंबाल गीतों के सुन्दर ब्लॉग के लिए भूरि-भूरि प्रशंसा और बधाई...आपका यह ब्लॉग अधिक से अधिक बच्चों तक पहुंचे, यही कामना है। मेरे विचार में सरल सार्थक बालगीत लिखना साहित्य की गंभीरतम विधाओं में एक है।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता...
जवाब देंहटाएंसुन्दर बाल गीत..........
जवाब देंहटाएंसादर
अनु