रविवार, 18 मई 2014

चूजे


इक मुर्गी के दो थे चूजे
दिखने में थे बड़े अजूबे
काली कलगी वाला कालू
छुटके को सब कहते लालू।

घूम घूम अपने दड़बे में
करते थे दोनों हुड़दंग
कभी मुर्ग की पीठ पे कूदें
कभी दौड़ते दोनों संग।


इक दिन बिल्ली मौसी आईं
चूजे देख के वो ललचाई
पहले लालू को ले जाऊं
या फ़िर कालू को मैं खाऊं।

देख के उनको दोनों चीखे
गली के सारे कुत्ते भौंके
मौसी की फ़िर शामत आई
भाग वहां से जान बचाई।
000
नित्या शेफ़ाली
कक्षा-11 –c
सेण्ट डोमिनिक सेवियो कालेज
लखनऊ


4 टिप्‍पणियां: