दूर तक फ़ैला हुआ एक घना जंगल था।बहुत पहले भी ऐसा ही हरा भरा था।आज भी है।मगर
पहले वहां पशु पक्षियों का शोर गूंजता रहता था।पक्षियों में सबसे ज्यादा मोर रहते
थे।इन मोरों के कारण उसे मोर वन भी कहा जाता था।वहां पर तरह तरह के फ़ूल खिले रहते
थे।पेड़ों पर फ़ल ही फ़ल दिखाई पड़ते थे।
जंगल के बीच में एक बड़ी झील
थी।उसमें कमल खिले रहते थे।बत्तखें तैरती रहती थीं।कमलों पर भौंरे अपना संगीत
सुनाते रहते थे।पर आज जो जंगल हैउसमें यह सब कुछ नहीं हैं। न पक्षी,न पशु।सब जंगल
छोड़ चुके हैं।किसी भी पेड़ पर न तो फ़ूल न फ़ल।मोर तो एक भी नहीं रहे।झील सूख गई।फ़िर
कमल और बत्तखें कहां दिखाई पड़तीं।जंगल में एक सन्नाटा छाया रहता है।लोग उधर जाते
हुये भी डरते हैं।
आठ दस साल पहले उस जंगल में
सुनहले पंखों वाले मोरों का एक जोड़ा आया था।वे मोर लोक के राजा रानी थे।इस वन की
प्रशंसा सुन कर इसे देखने आए थे।
गांव के एक आदमी ने इन मोरों को
देखा तो उसके मन में लालच समा गयी।अगर मैं नर मोर के पंखों को राजा को भेंट कर दूं
तो वे प्रसन्न हो जाएंगे।मुझे ढेरों इनाम मिलेगा।इसी लालच में उसने एक इतने सुन्दर
मोर को मार डाला।
मगर हुआ उलटा।राजा गुस्से से चीख
कर बोले—“अरे दुष्ट तूने यह क्या
किया?मोर तो हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी है।इसे मारना अपराध है।थोड़े इनाम के
लालच में तूने इतने सुन्दर पक्षी को मार डाला।”कहकर उन्होंने उसे कारागार में डाल दिया।
उसके बाद रानी मोरनी अपने मोर
लोक को लौट गई।फ़िर उसके पीछे सारे मोर भी निकल गये।इसी तरह एक एक कर सारे पशु
पक्षी जंगल से भागने लगे।फ़ूल खिलने बंद हो गये।झील सूख गयी।यहां तक कि पत्तियों ने
हवा चलने पर सरसराहट करना बंद कर दिया।एकदम सन्नाटा छा गया।
एक दिन बड़ा अचंभा हुआ।लोगों को अपनी
आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। सुनहले पंखों वाला एक मोर पूरे गांव की छतों
पर इधर उधर फ़ुदक रहा था।जो भी देखता हैरान रह जाता।पूरे जंगल में एक भी प।क्षी पशु
नहीं बचा था।फ़िर यह अकेला मोर कहां से आया?
सब से बढ़ कर आश्चर्य तो तब हुआ
जब वह मनुष्यों की बोली में बोला—“गांव वालों,याद करो कुछ साल पहले तुम लोगों ने मोरों के
राजा को मारने का अपराध किया था।तब से यह जंगल तबाह हो गया।अभी जो पेड़ हरे भरे हैं
वे भी कुछ दिनों में सूख जाएंगे।गांव के लोग अकाल से मरने लगेंगे।”
डर कर एक ग्रामीण ने पूछा—“तुम कौन हो भाई?”
“मैं मोर लोक से आया हूं।मुझे रानी ने भेजा है।रानी अब बूढ़ी
हो चली हैं।उन्हें किसी की सहायता चाहिये।अगर तुम लोगों में से कोई अपना एक बच्चा
दे दे तो अच्छा होगा।सब पहले जैसा ठीक हो जाएगा।”
सुनते ही सब लोग सन्न रह गये।भला मोर लोक भेजने को कौन अपना बच्चा देना
चाहेगा।
मोर फ़िर बोला—“तुम लोगों के पास सोचने
के लिये दो दिन का समय है।वरना परसों से ही बरबादी शुरु हो जाएगी।यह रानी का श्राप
समझो।इससे तुम्हें भगवान भी नहीं बचा सकता।”
लोग और भी डर गये।मगर इतना बड़ा
त्याग करने का साहस किसी में नहीं था।
मातृ भक्त जयदेव बोला—“मां,तुम जो चाहती हो वह
मुझे सहर्ष स्वीकार है।मेरे चले जाने से इतने लोगों का भला होगा।इससे अच्छा और
क्या हो सकता है।”
आनन्दी ने मोर से कहा---“मेरा जयदेव जायेगा। मगर मुझे
करना क्या होगा?”
मोर प्रसन्न होकर बोला—“तुम आज रात को अपने बेटे
को जंगल के वट वृक्ष के नीचे छोड़ आना।इसे
रानी तक पहुंचाना मेरा काम है।”
आनन्दी ने वैसा ही किया।आनन्दी को
बेटे से बिछुड़ने का बड़ा दुख हुआ।लेकिन पूरे गांव और जंगल के कल्याण के लिये उसने
इससे संतोष कर लिया।
अगले दो दिन में ही सचमुच जंगल की
पहले वाली शोभा लौट आई।लोगों की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा।यह सब मां बेटे के
त्याग का फ़ल था।दिन बीतते देर नहीं लगी।पन्द्रह बीस साल गुज़र गये।आनन्दी अब बूढ़ी
हो चली थी।
अचानक एक दिन फ़ूलों से सजी एक
सुन्दर पालकी गांव में पहुंची।वह सीधे आनन्दी के घर पर पहुंच कर रुकी।देखने वालों
की भीड़ लग गई।आनन्दी भी लाठी लेकर घर से बाहर निकली।
पालकी में से एक सुन्दर युवक और
युवती नीचे उतरे।सब आश्चर्य में थे---आखिर ये हैं कौन?और यहां क्यों आए हैं?
तभी युवक और युवती ने झुक कर
आनन्दी के पांव छुए।फ़िर युवक बोला—“मां मैं तुम्हारा बेटा जयदेव हूं।यह तुम्हारी बहू है।मोर
लोक की रानी अब नहीं रहीं।मगर जाने से पहले उसने वहां की राजकुमारी से मेरा विवाह
कर दिया। फ़िर अपार धन के साथ मुझे और राजकुमारी को आपके पास भेजा है।”
पूरा गांव धन्य धन्य कहने
लगा।आनन्दी और जयदेव के त्याग से ही आज पूरा गांव और जंगल प्रसन्नता में डूब गये।हर
कोई उनकी प्रशंसा कर रहा था।रानी ने एक विशेष सौगात के रूप में अपने दरबार का एक
सबसे सुंदर मोरों का जोड़ा भेजा था।ये मोर भी सुनहले थे।लोगों ने कहा—“ये मोर हमारे जंगल के
राजा रानी होंगे।लोगों को एक और चेतावनी दी गई।अब किसी ने जंगल के किसी प्राणी को
हानि पहुंचाई तो उसे कठोर दण्ड दिया जाएगा।
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प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर कहानी
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