(फ़ोटो-गूगल से साभार) |
रंग बिरंगी होली आई,
गुझिया और कचौड़ी लाई।
घर-घर होती तैयारी,
हंसी ठिठोली करती आई।
(फ़ोटो-गूगल से साभार) |
सारे बच्चे खुशी मनाते,
धमा चौकड़ी खुब मचाते।
पिचकारी में रंग भरे हैं
बब्लू मुन्नी खूब चलाते।
होली सबको है समझाती,
जाति धर्म का भेद मिटाती।
मिल जुल कर तुम रहना सीखो,
मानवता का पाठ पढाती।
(फ़ोटो-गूगल से साभार) |
रंगों की बस एक भाषा,
प्यार-मोहब्बत जीवन-आशा।
सबको प्रेम से गले लगाओ
अकबर,रामू प्यारे जानी।
रंग बिरंगी होली आई,
गुझिया और कचौड़ी लाई।
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कवि-अजय कुमार मिश्र
"अजयश्री "
ग़ीत एवं नाट्य अधिकारी
राज्य सूचना शिक्षा एवं संचार ब्यूरो
परिवार
कल्याण विभाग,उत्तर प्रदेश।
मोबाइल-09415017598
ईमेल-ajayshree30@ymail.com
रंगों के महापर्व होली की
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (07-03-2015) को "भेद-भाव को मेटता होली का त्यौहार" { चर्चा अंक-1910 } पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर बाल गीत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत
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