झम झम झम झम
बरसा पानी
आई प्यारी बरखा
रानी
दुखी हुई अब धूप
सुहानी
जब से आई बरखा
रानी ।
झूम झूम कर नाच रहे हैं
सभी
वृक्ष जंगल में
धन्यवाद
देते बादल को
मोर
पपीहे नाच नाच के ।
खेलो कूदो मौज
करो तुम
आज के इस मौसम
में
नाव बना लो इक
कागज की
तैरा दो उसको
पानी में ।
लेकिन कर लो
थोड़ी पढ़ाई
नहीं पड़ोगे तुम चिन्ता में
स्कूल
खुलेगा अब जल्दी ही
वहां
भी खेलोगे पानी में ।
00000
कवियत्री--
नित्या शेफ़ाली
कक्षा-12 –A
सेण्ट
डोमिनिक सेवियो कालेज
लखनऊ
bahut sundar..
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-06-2015) को "यूं ही चलती रहे कहानी..." (चर्चा अंक-2020) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
नित्य आप तो बहुत अच्छा लिखती हैं ऐसे ही लिखती रहें
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