हम पानी को खूब बहाते
बूँद-बूँद भर लाते लोग
जितना दिन भर खर्च करें वे
उतना नहा बहाते हम
हम पानी को खूब बहाते।
बूँद-बूँद भर लाते लोग
जितना दिन भर खर्च करें वे
उतना नहा बहाते हम
हम पानी को खूब बहाते।
हमको घर बैठे मिल
जाता
पाइप के रस्ते से आता
मीलों चलकर गागर भर भर
पानी लेकर आते लोग
हम पानी को खूब बहाते।
पाइप के रस्ते से आता
मीलों चलकर गागर भर भर
पानी लेकर आते लोग
हम पानी को खूब बहाते।
सोचो बच्चो तुम भी सोचो
ये
पानी कितना अनमोल
इसे
बचा कर रखना हमको
जिसको
व्यर्थ बहाते लोग
हम पानी को खूब
बहाते।
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गीतकार-सुधाकर अदीब
हिन्दी साहित्य के स्थापित कथाकार सुधाकर अदीब जी की अब तक दर्जनों पुस्तकें
प्रकाशित हो चुकी हैं।आपकी प्रमुख
पुस्तकें हैं--अथ मूषक उवाच,चींटे के पर,हमारा क्षितिज,मम अरण्य,शाने तारीख़,रंग राची(उपन्यास)/मृगतृष्णा, देहयात्रा,उजाले अँधेरे,पगडण्डी (कहानी संग्रह)/हिन्दी
उपन्यासों में प्रशासन (आलोचना)/अनुभूति, संवेदना, जानी जग की पीर , हथेली पर जान (काव्य संग्रह)।अदीब जी एक अच्छे साहित्यकार,गीतकार और गायक होने के साथ ही एक बेहतरीन इन्सान हैं।आजकल “मीराबाई” के जीवन पर एक नया उपन्यास लिख रहे हैं।संप्रति:निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान,लखनऊ।
जिसको सहज सुलभ हो जाता है वह उसकी क़द्र नहीं कर पाता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति
जल है तो कल है