एक छोटी सी बच्ची थी छोटू । प्यारी सी गोलमटोल,मगर अव्वल दर्जे की शरारती।उसके पिता वन अधिकारी थे । झारंखड के एक छोटे शहर में रहती थी वो । पढ़ाई की बात आते ही बुखार लग जाता उसे।तीसरे कक्षा की छात्र छोटू कई मामले में समझदारी खूब दिखाती। पापा की लाड़ली थी।एक दिन उसके पिता ने घर आते ही कहा,नीरा आज हम जंगल जायेंगे।छोटू बहुत ही ख़ुश हो गयी,एक तो जंगल में मंगल दूसरे उसकी पढाई से छुट्टी .....ओ ओ ओ । दीदी खिलौने ले लेना मेरी,ख़ुशी से वो लगभग चीख़ रही थी माँ टोनी को(छोटा कुत्ता ) ले लेना।नियत समय पर जीप आ गई,चारो भाई बहन,माँ पिताजी ,चपरासी धन्नु । जल्दी चलो पापा की हड़बड़ी आज अच्छी लग रही थी छोटू को । पहाड़ी सड़कें कहीं ऊपर कहीं नीचे जैसे ही सड़क टूटी होती जीप उछल जाती सबके सब हँस पड़ते चांय-चांय....चीं चीं काँव- काँव ड्राईवर कुजूर ने तुरन्त भाँप लिया। सर जानवर है शायद बाघ। छोटा नागपुर में जानवर अधिक है। और वन अधिकारी तो वैसे भी वहीं जायेंगे जहाँ पेड़ हों,जानवर हों । अचानक ज़ोर से जीप रूकी सभी सहम से गए। एक विशालकाय हाथी सड़क पर कराह रहा थ।
' गाड़ी रोको' पापा ने कह। सर जंगली हाथी ख़तरनाक होते हैं आस-पास और भी हाथी होगे। गाड़ी रूक गई सारे बच्चे दुबक ग। शाही जी गाड़ी से उतर गए। हाथी तड़प रहा था।उसके पैर में बड़ा काँटा चुभा था । पैर पटक रहा था वो । धीरे-धीरे सारे लोग गाड़ी से उतर आये । शाही जी ने फ़र्स्ट एड बाक्स निकलवाया और लग गए काँटा निकालने
'आह ' निकल गया सभी खुशी से झूम उठे हाथी की आँखों से अविरल आँसू बह रहे थ। सबने हाथी को प्यार किया और आगे बढ़ चले । "सुहाना सफ़र और ये मौसम हँसी " सामने' ‘मारोमार'
का गेस्ट हाउस था । सभी थके माँदे,मगर छोटू के मन में वही हाथी की बात थी । कहाँ होगा,कैसे काँटे लगे,कब वो नींद की गोद में चली गई। सुबह कोलाहल से आँखें खुली आँखे मलते बाहर गई। बहुत भीड़ थी । समझ से बाहर लगी बात। नज़रें उठाई,पूरा गेस्ट हाउस फूलों से सज़ा था ।किसने किया?कौन था ?तभी सबकी निगाह कीचड़ पर हाथी के निशानों ( पैर ) पर पड़।रात में हाथी सज़ा गया था।शायद वो प्यार के बदले प्यार देना जानता था।
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लेखिका-निवेदिता
मिश्रा झा
सम्प्रति – दिल्ली में निवास।पत्रकार व काउन्सलर।तीन
पुस्तक प्रकाशित,चार
साझा संग्रह।नीरा मेरी माँ है ,मैं नदी हूँ, देवदार के आँसू ।निवेदिता जी की यह पहली बाल कहानी है।
मोबाइल--9811783898
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18-07-2015) को "कुछ नियमित लिंक और आ.श्यामल सुमन की पोस्ट का विश्लेषण" {चर्चा अंक - 2040} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बढ़िया.......
जवाब देंहटाएंअच्छी बाल कहानी
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी !
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