जब नौकरी की तलाश में,
मोती कुत्ता आया।
घंटी बजा, बुलाकर उसको,
भालू ने समझाया।
उसे नौकरी दूंगा जो कि,
बोल सके दो भाषा।
सुनकर भी मोती कुत्ते को,
हुई न तनिक निराशा।
बोला आती भाषाएं दो,
लो मैं तुम्हें
सुनाऊं।
पहले तेज-तेज गुर्राया,
और फिर बोला म्याऊं।
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डा0अरविन्द दुबे
पेशे से चिकित्सक एवम शिशु रोग विशेषज्ञ डा0
अरविन्द दुबे बाल एवम विज्ञान साहित्य लेखन के क्षेत्र में एक चर्चित एवम प्रतिष्ठित हस्ताक्षर हैं।देश की
प्रतिष्ठित पत्र,पत्रिकाओं में लेखन के साथ ही रेडियो,टेलीविजन एवम शैक्षिक
दूरदर्शन के कर्यक्रमों हेतु सैकड़ों आलेख लिखने के साथ ही कार्यक्रम प्रजेण्टर के
रूप में भी कार्य।आपकी अभी तक प्रकाशीत महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं--जानें अपने जिगर
को,खुद पहचानें रोग,रेडियेशन ऐन इनविजिबिल रे आफ़ लाइफ़-एक्स रे,न्युक्लियर पावर मिथ्स ऐण्ड
रेडियेशन्स, न्युक्लियर रेडिएशन इन मेडिसिन।वर्तमान में भी आप अपने चिकित्सीय कार्य
के साथ लेखन में लगातर सक्रिय हैं।
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