पहले था इक नहां पौधा
अब मैं हूं एक बड़ा सा पेड़
हरे भरे जंगल में भैया
मुझसे भी कुछ बड़े हैं पेड़
बड़े पेड़ कुछ मोटे पेड़।
जमीन के अंदर है मेरी जड़
उसके ऊपर तना बना है
तने से निकली शाखाएं हैं
शाखाओं में लगी पत्तियां
लगी पत्तियां हरी पत्तियां।
पानी खाद मुझे जो दोगे
रहूंगा हरदम हरा भरा
पर काटोगे मुझको भैया
होगा जग का नुकसान बड़ा
नुकसान बड़ा तूफ़ान बड़ा।
पहले था इक नन्हां पौधा
अब मैं हूं इक बड़ा सा पेड़।
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डा0हेमन्त कुमार
नक विचार..नेक सलाह..सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंmohak prastuti
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