शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

राखी का दिन----।

राखी का दिन जब आयेगा
बहुत सबेरे उठ जाऊंगी
छोटे भैया को भी जगा के
अपने संग मैं नहलाऊंगी।
राखी का दिन-----------।

सुन्दर कपड़े पहना करके
मैं भैया को सजाऊंगी
प्यारे सुन्दर फ़ूलों से फ़िर
राखी एक बनाऊंगी।

राखी का दिन-----------।
(चित्र गूगल से साभार)

भैया को फ़िर पास बिठाकर
प्यार से राखी बांधूंगी
अगर मिठाई नहीं मिली तो
गुड़ और दही खिलाऊंगी।
राखी का दिन-----------।
0000

डा0हेमन्त कुमार

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (30-08-2015) को "ये राखी के धागे" (चर्चा अंक-2083) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    भाई-बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक
    रक्षाबन्धन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    1. वाह! रक्षाबंधन पे बहुत अच्छी कविता लिखी है |
      अब तो हम दोस्त बन गए हैं... आप भी मेरे ब्लॉग पे आइयेगा फिर हम ढेर सारी बातें करेंगे |

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