भालू ले कंधे पर थैला
चला घूमने शहर का मेला
रंग बिरंगे खेल खिलौने
चाट पकौडी ठेलम ठेला।
भालू ने भी लिए गुब्बारे
चार खिलौने सुंदर प्यारे
जब पैसों की आई बारी
भालू को दिख गए सितारे।
पड़ा सोच में भालू भरी
लाऊ कहाँ से अब मैं पैसे
दुकानदार ने उठा ली लाठी
भागा भालू छोड़ के मेला।
००००००००००००००
हेमंत कुमार
चला घूमने शहर का मेला
रंग बिरंगे खेल खिलौने
चाट पकौडी ठेलम ठेला।
भालू ने भी लिए गुब्बारे
चार खिलौने सुंदर प्यारे
जब पैसों की आई बारी
भालू को दिख गए सितारे।
पड़ा सोच में भालू भरी
लाऊ कहाँ से अब मैं पैसे
दुकानदार ने उठा ली लाठी
भागा भालू छोड़ के मेला।
००००००००००००००
हेमंत कुमार
yah to bada hi sundar baal-geet hai..
जवाब देंहटाएंबच्चों के साथ बड़े भी झूम उठे......
जवाब देंहटाएंभालू ले कन्धे पे थैला,
जवाब देंहटाएंचला घूमने को मेला।
बन्दर मामा साथ हो लिया,
बन करके उसका चेला।
चाट पकौड़ी जम कर खाई,
और खाया जम कर खेला।
फिर दोनों आपस मे बोले,
अच्छा लगा बहुत मेला।।
आनंद आ गया हेमंत जी,
जवाब देंहटाएंचंपक और पराग पढ़ने के दिन याद आ गए।..लेकिन देखता हूं कि अब तो बच्चे का
र्टून चैनल और आईपीएल से चिपके रहते हैं।
बहुत ही मज़ेदार कविता है!
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