मंगलवार, 16 जून 2009

बालगीत -भालू की साइकिल


भालू लेकर आया साइकिल कितनी प्यारी कितनी सुन्दर,
कितनी प्यारी कितनी सुन्दर दौड़े देखो कैसी सर सर।

भालू उछल सीट पर बैठा और लोमड़ी पीछे,
फ़िर पैडल पर जोर लगाकर भालू साइकिल खींचे,
पीछे भागे मोती कुत्ता साथ में रामू बंदर,
भालू लेकर आया साइकिल कितनी प्यारी कितनी सुन्दर।

हाथी दादा बोले हम भी बैठेंगे साइकिल पर,
चढ़े सीट पर जैसे ही वे साइकिल बोली चर चर,
भालू रोया अपनी टूटी फ़ूटी साइकिल देखकर,
भालू लेकर आया साइकिल कितनी प्यारी कितनी सुन्दर।

भालू लेकर आया साइकिल कितनी प्यारी कितनी सुन्दर,
कितनी प्यारी कितनी सुन्दर दौड़े देखो कैसी सर सर।
*********
गीतकार-डा0 अरविन्द दुबे
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित
*पेशे से चिकित्सक एवम शिशु रोग विशेषज्ञ डा0 अरविन्द दुबे
बाल एवम विज्ञान साहित्य लेखन के क्षेत्र में एक चर्चित एवम प्रतिष्ठित
हस्ताक्षर हैं।




5 टिप्‍पणियां:

  1. bahut hi pyari rachna.....bachpan jhalkta hai aapke es kavita se

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  2. भालू लेकर आया साईकिल और बच्चे खुश!
    सुन्दर बाल गीत

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  3. बहुत खूबसूरत
    ‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
    इस गज़ल को पूरा पढें यहां

    http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
    http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें

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  4. बहुत ख़ूबसूरत बाल गीत है ! बहुत बढ़िया!

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