नन्हीं चुहिया चली अकड़कर,
दाना दांत दबाए,
है कोई क्या ऐसा,
जो मुझसे रेस लगाये।
सुनकर चुहिया की बानी,
बोली बिल्ली खिसियानी,
इक दिन लाऊंगी रस्ते पर,
याद आएगी तुझको नानी।
बिल्ली बैठी रस्ते पर,
इक दिन घात लगाए,
दिख जाए जो चुहिया,
उसको धर लूं पांव दबाय।
घूम घाम कर चुहिया पहुंची,
खाने बाग के आम,
मार झपट्टा मौसी ने,
किया उसका काम तमाम।
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दाना दांत दबाए,
है कोई क्या ऐसा,
जो मुझसे रेस लगाये।
सुनकर चुहिया की बानी,
बोली बिल्ली खिसियानी,
इक दिन लाऊंगी रस्ते पर,
याद आएगी तुझको नानी।
बिल्ली बैठी रस्ते पर,
इक दिन घात लगाए,
दिख जाए जो चुहिया,
उसको धर लूं पांव दबाय।
घूम घाम कर चुहिया पहुंची,
खाने बाग के आम,
मार झपट्टा मौसी ने,
किया उसका काम तमाम।
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कवियत्री :पूनम का बालगीत
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित
चुहिया चली अकड़कर, लेकिन बिल्ली पड़ गई पीछे।
जवाब देंहटाएंअपने मे बिल में चली गई,बिल्ली दाँतों को पीसे।।
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुकियादा करना चाहती हूँ आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए!
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारा और मज़ेदार लगा!
पहले तो मैं हेमंत कुमार द्वारा प्रकाशित मेरी नई किताब बच्चों का नया ठिकाना
हटाएंबहुत ही प्यारा और मज़ेदार लगा!
सुन्दर बालगीत है\बधाई।
जवाब देंहटाएंKAVITA ACHHI LAGI
जवाब देंहटाएंCUHIA PAKAR ME NA AATI TO AUR ACHHA HOTA
AKANKSHA