झम झम झम झम बरसा पानी
आई प्यारी बरखा रानी
दुखी हुई अब धूप सुहानी
जब से आई बरखा रानी ।
झूम झूम कर नाच रहे हैं
सभी वृक्ष जंगल में
धन्यवाद दे्ते बादल को
मोर पपीहे नाच नाच के ।
खेलो कूदो मौज करो तुम
आज के इस मौसम में
नाव बना लो इक कागज की
तैरा दो उसको पानी में ।
लेकिन कर लो थोड़ी पढ़ाई
नहीं पड़ोगे तुम चिन्ता में
स्कूल खुलेगा अब जल्दी ही
वहां भी खेलोगे पानी में ।
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आई प्यारी बरखा रानी
दुखी हुई अब धूप सुहानी
जब से आई बरखा रानी ।
झूम झूम कर नाच रहे हैं
सभी वृक्ष जंगल में
धन्यवाद दे्ते बादल को
मोर पपीहे नाच नाच के ।
खेलो कूदो मौज करो तुम
आज के इस मौसम में
नाव बना लो इक कागज की
तैरा दो उसको पानी में ।
लेकिन कर लो थोड़ी पढ़ाई
नहीं पड़ोगे तुम चिन्ता में
स्कूल खुलेगा अब जल्दी ही
वहां भी खेलोगे पानी में ।
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नित्या शेफाली का बालगीत
बहुत प्यारा गीत है
जवाब देंहटाएंपानी की चर्चा अच्छी लग रही है। सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंआसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल।
जवाब देंहटाएंश्वेत-श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल।
हरी-हरी उग गई घास है,
धरती की बुझ गई प्यास है,
नदियाँ-नाले नाद सुनाते जाते कल-कल।
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल।।
बहुत सुन्दर बालगीत है बधाइ
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और प्यारा गीत लिखा है आपने! मुझे बेहद पसंद आया!
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मैं प्रोफेशनल फोटोग्राफर तो नहीं हूँ पर फोटोग्राफी का शौक ज़रूर रखती हूँ ! पर आपके मुकाबले शायद कुछ भी नहीं हूँ! तो आप फोटोग्राफर हैं हेमंत जी?
अगर इस बाल गीत को नित्य शेफाली अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करके भेज दे तो हिंद-युग्म कवि सम्मलेन में शामिल कर लूंगी.........,
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