सूरज की गर्मी से झुलसे
बंदर भालू और शेर जी
कौवे तोते पाखी चीखे
बरस जाओ अब बादल राजा।
तितली,झींगुर,वीर बहूटी
तड़प रहे बिन पानी सारे
महाबली घड़ियाल भी देखो
बिन पानी के हुये बिचारे।
मछली,कछुओं की तकलीफ़ें
देख के सारे मेढक जुट गये
मेघ मल्हार छेड़ दी सबने
टर्र टर्र का बजा के बाजा।
जोर जोर फ़िर हवा चली जो
आसमान ने रंग जो बदला
गूंज उठा मेघों का राग
खुशी हुये फ़िर बादल राजा
झूम के बरसे बादल राजा।
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डा0हेमन्त कुमार
पेंटिंग बहुत अच्छी है आपने कविता में रंग भर दिया बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंमज़ेदार कविता
जवाब देंहटाएंसटीक चित्रण...
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