गर्मी
से जब तंग हो गये
बंदर
चीता भालू
जंगल
से नदिया तट पहुंचे
किया
नहाना चालू।
छपक
छपक पानी में सबने
खूब
उछाली बालू
भूख
लगी तीनों ने मिलकर
खेत
में खाई आलू।
रखवाला
डंडा ले दौड़ा
सामने
दिख गया भालू
चीता
बंदर भाग गये पर
भालू
का बना कचालू।
0000
डा0हेमन्त
कुमार
उम्दा बाल गीत
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-05-2015) को "लफ्जों का व्यापार" {चर्चा अंक- 1991} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सुन्दर बाल गीत
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