हाथ
हमारे बड़े काम के
इनकी
तो है शक्ति निराली
बिना
मिले दो हाथों के तो
बजती
नहीं कभी भी ताली…।
हाथ
से हाथ मिला कर देखो
ना
कुछ भी फ़िर रहे असंभव
पर
इनसे कुछ गड़बड़ हो तो
उड़
जाते हाथों के तोते…।
हाथ
पे हाथ रखे यदि बैठे
लौटेगा
ना ये वक़्त दोबारा
कुछ
न मिलेगा तुमको फ़िर
मलके
हाथ पड़े पछताना…।
हाथ
हमारे बड़े काम के
इनकी
तो है शक्ति निराली
बिना
मिले दो हाथों के तो
बजती
नहीं कभी भी ताली…।
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डा0हेमन्त कुमार
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-05-2015) को "सिर्फ माँ ही...." {चर्चा अंक - 1971} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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हाथ के बारे में क्या खूब लिखा है
जवाब देंहटाएंशानदार ब्लॉग और बहुत सुंदर रचना आदरणीय।
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