रविवार, 29 नवंबर 2015

सूरज

रोज सबेरे आता सूरज,
हंसता और मुस्काता सूरज,
अंधियारे को दूर भगाकर,
उजियारे को लाता सूरज।
रोज सबेरे--------------।
 
(फ़ोटो-गूगल से साभार)
कभी सुनहली कभी लाल और,
पीली गेंद बनाता सूरज,
रोज सबेरे पूरब में उग,
शाम को पश्चिम जाता सूरज।
रोज सबेरे------------------।
 
(फ़ोटो-गूगल से साभार)
धूप रोशनी गर्मी देकर,
जाड़ा दूर भगाता सूरज,
सतरंगी किरणों से अपनी,
नई छटा बिखराता सूरज।
रोज सबेरे आता सूरज,
हंसता और मुस्काता सूरज।
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डा0हेमन्तकुमार

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत खूब। सभी को बहुत पसंद आएगी। मेरी नई पोस्‍ट आपके इंतजार में।

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  2. और ठण्ड में तो बहुत मन को भाता सूरज
    बहुत सुन्दर बाल रचना

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