नन्दू की समझदारी
(गीतात्मक कहानी)
(गीतात्मक कहानी)
घर के बाहर दिखा जो पिल्ला
प्यारा सुन्दर झबरा पिल्ला
भूल गया दुख सारे नन्दू
दौड़ के गोद में ले लिया पिल्ला।
पिल्ला ले घर पहुंचा नन्दू
दौड़ के मां से रोटी लाया
फ़िर पिल्ले को गोद में ले के
लगा खिलाने रोटी नन्दू।
रोटी दाल खिला पिल्ले को
लगा सोचने बैठ के नन्दू
क्या रक्खूं मैं इसका नाम
मोती शेरा या फ़िर चन्दू ।
मोती कहकर लगा बुलाने
प्यारे पिल्ले को फ़िर नन्दू
सुबह शाम संग मोती के ही
खेला करता अपना नन्दू।
प्यारा सुन्दर झबरा पिल्ला
भूल गया दुख सारे नन्दू
दौड़ के गोद में ले लिया पिल्ला।
पिल्ला ले घर पहुंचा नन्दू
दौड़ के मां से रोटी लाया
फ़िर पिल्ले को गोद में ले के
लगा खिलाने रोटी नन्दू।
रोटी दाल खिला पिल्ले को
लगा सोचने बैठ के नन्दू
क्या रक्खूं मैं इसका नाम
मोती शेरा या फ़िर चन्दू ।
मोती कहकर लगा बुलाने
प्यारे पिल्ले को फ़िर नन्दू
सुबह शाम संग मोती के ही
खेला करता अपना नन्दू।
( शेष अगले अंक में )
००००००००००००
हेमंत कुमार
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....
जवाब देंहटाएंwow bahut sunder! bachpan yaad aa gaya.... aapse inspire hokar bachcho ke liye kikhne ka mera bhi man karne laga hai
जवाब देंहटाएंमोती इतना प्यारा है कि उसके साथ हर किसीको खेलने का मन करेगा! मैं तो आपकी कहानी पढ़कर अपने बचपन के दिनों में लौट गई! बचपन का समय..क्या दिन थे वो जो अब यादें बनकर रह गई!
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