नन्दू की समझदारी(भाग-५)
(गीतात्मक कहानी)
(गीतात्मक कहानी)
कुछ ही दिनों के बाद वहां पर
नन्दू के चाचा जी आये
मोती मिट्ठू की हालत को
देख के चाचा जी मुस्काये।
सोच के कुछ चाचा ने बच्चों
फ़िर नन्दू को पास बुलाया
मोती मिट्ठू के बारे में
प्यार से उसको समझाया।
जैसे इस धरती पर नन्दू
हम मानव रहते आजाद
वैसे ही इस पूरे जग में
हर प्राणी रहता है आजाद ।
अगर बांध कर रखोगे उनको
पिंजरे रस्सी में कसोगे उनको
नहीं रहेंगे खुश ये कभी भी
ना बन सकेंगे दोस्त कभी भी।
अगर इन्हें तुम सच्चा दोस्त
बनाना चाह रहे हो अपना
आजाद करो तुम इन दोनों को
फ़िर देखो खुश होते ये कितना।
नन्दू के चाचा जी आये
मोती मिट्ठू की हालत को
देख के चाचा जी मुस्काये।
सोच के कुछ चाचा ने बच्चों
फ़िर नन्दू को पास बुलाया
मोती मिट्ठू के बारे में
प्यार से उसको समझाया।
जैसे इस धरती पर नन्दू
हम मानव रहते आजाद
वैसे ही इस पूरे जग में
हर प्राणी रहता है आजाद ।
अगर बांध कर रखोगे उनको
पिंजरे रस्सी में कसोगे उनको
नहीं रहेंगे खुश ये कभी भी
ना बन सकेंगे दोस्त कभी भी।
अगर इन्हें तुम सच्चा दोस्त
बनाना चाह रहे हो अपना
आजाद करो तुम इन दोनों को
फ़िर देखो खुश होते ये कितना।
०००००००००००
(शेष अगले भाग में )
हेमन्त कुमार
लेखनी प्रभावित करती है.
जवाब देंहटाएंबाल-गीत बहुत सुन्दर है।
जवाब देंहटाएंबधाई!
बहुत ही प्रभावशाली और मज़ेदार रूप से आपने प्रस्तुत किया है !
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