(गीतात्मक कहानी)
बहुत पुरानी बात है बच्चों
एक गांव था छोटा सा
उसी गांव के एक कोने में
अपना नन्दू रहता था।
अपना नन्दू छोटा था
छोटा था और भोला था
भाई बहन नहीं थे उसके
मां बापू का अकेला था।
किसके साथ मैं खेलूं कूदूं
उछलूं कूदूं धूम मचाऊं
किससे खाऊं किसे खिलाऊं
नन्दू सोचा करता था।
एक दिन बड़े सबेरे बच्चो
नन्दू निकला घर से बाहर
तभी उसे एक प्यारा पिल्ला
दिख गया अपने घर के बाहर।
एक गांव था छोटा सा
उसी गांव के एक कोने में
अपना नन्दू रहता था।
अपना नन्दू छोटा था
छोटा था और भोला था
भाई बहन नहीं थे उसके
मां बापू का अकेला था।
किसके साथ मैं खेलूं कूदूं
उछलूं कूदूं धूम मचाऊं
किससे खाऊं किसे खिलाऊं
नन्दू सोचा करता था।
एक दिन बड़े सबेरे बच्चो
नन्दू निकला घर से बाहर
तभी उसे एक प्यारा पिल्ला
दिख गया अपने घर के बाहर।
00000000
( शेष अगले अंक में )
हेमन्त कुमार
वाह रोचक बाल कहानी बहुत सुन्दर अगली कडी का इन्तज़ार रहेगा आभार्
जवाब देंहटाएंनन्दू की कहानी बढ़िया रही।
जवाब देंहटाएंअगली कड़ी का इन्तजार है।
बच्चों को मोहक लय में बाँधे रखने का खूबसूरत तरीका
जवाब देंहटाएंनंदू की कहानी बहुत प्यारी लगी! बेचारा अकेले करे भी तो क्या ! आपके अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा!
जवाब देंहटाएंnandu akela kyun tha aap nahee the kya
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 26 जनवरी 2019 को लिंक की जाएगी ....http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएं