नन्दू की समझदारी(३)
(गीतात्मक कहानी)
पर मोती को एक दिन बच्चों
बांधा रस्सी में नन्दू ने
चल तुझको मैं गांव घुमाऊं
समझाया उसको नन्दू ने।
आगे आगे तो नन्दू था
पीछे ही उसके मोती था
नन्दू उसको खींच रहा था
मोती पें पें चीख रहा था।
गुस्सा होकर फ़िर नन्दू ने
मोती को ला घर में बांधा
बंध जाने से मोती की तो
आजादी में आयी बाधा ।
घर में बंध जाने से बच्चों
मोती रहने लगा उदास
नया दोस्त एक मोती का फ़िर
नन्दू करने लगा तलाश।
बांधा रस्सी में नन्दू ने
चल तुझको मैं गांव घुमाऊं
समझाया उसको नन्दू ने।
आगे आगे तो नन्दू था
पीछे ही उसके मोती था
नन्दू उसको खींच रहा था
मोती पें पें चीख रहा था।
गुस्सा होकर फ़िर नन्दू ने
मोती को ला घर में बांधा
बंध जाने से मोती की तो
आजादी में आयी बाधा ।
घर में बंध जाने से बच्चों
मोती रहने लगा उदास
नया दोस्त एक मोती का फ़िर
नन्दू करने लगा तलाश।
०००००
( शेष अगले अंक में )
हेमंत कुमार
एक सुन्दर रचना.....लगे रहो
जवाब देंहटाएंMATALAB AAP AISE HI LIHATE RAHO.......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! अन्तिम कड़ी का इंतज़ार है!
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिये कविता के रूप मे कहानी याद करना बहुत आसान हो जाता है लगता है अब नन्दू का इन्तज़ार उन्हें खल्गा बहुत सुन्दर रचना है बधाई अगली कडी का इन्त्ज़ार रहेगा
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