रविवार, 6 सितंबर 2009

नन्दू की समझदारी(भाग -३)

नन्दू की समझदारी(३)
(गीतात्मक कहानी)

पर मोती को एक दिन बच्चों
बांधा रस्सी में नन्दू ने
चल तुझको मैं गांव घुमाऊं
समझाया उसको नन्दू ने।

आगे आगे तो नन्दू था
पीछे ही उसके मोती था
नन्दू उसको खींच रहा था
मोती पें पें चीख रहा था।

गुस्सा होकर फ़िर नन्दू ने
मोती को ला घर में बांधा
बंध जाने से मोती की तो
आजादी में आयी बाधा ।

घर में बंध जाने से बच्चों
मोती रहने लगा उदास
नया दोस्त एक मोती का फ़िर
नन्दू करने लगा तलाश।
०००००
( शेष अगले अंक में )
हेमंत कुमार

5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! अन्तिम कड़ी का इंतज़ार है!

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  2. बच्चों के लिये कविता के रूप मे कहानी याद करना बहुत आसान हो जाता है लगता है अब नन्दू का इन्तज़ार उन्हें खल्गा बहुत सुन्दर रचना है बधाई अगली कडी का इन्त्ज़ार रहेगा

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