कोयल
का गाना सुन बोले
इक
दिन भालू दादा
ले लो
तुम अब एक पियानो
दाम
नहीं कुछ ज्यादा।
भाग
के दोनों शहर को पहुंचे
दूर नहीं था ज्यादा
देख
समझ के पसंद किया फ़िर
एक
पियानो बाजा।
पैसे
लाई थी कम कोयल
दाम
थे थोड़े ज्यादा
सिटी
बैंक का कार्ड निकाले
फ़ौरन
भालू दादा।
जंगल
में फ़िर धूम मच गयी
कोयल
लाई बाजा
झूम झूम कर कोयल गाती
संगत दें भालू दादा।
000
डा0हेमन्त
कुमार
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जवाब देंहटाएंBahut sundar
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-07-2016) को "मीत बन जाऊँगा" (चर्चा अंक-2392) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्यारी रचना ☺
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना ☺
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