चर्र चूँ चर्र चूँ
चर्र चूँ चर्र चूँ
गीत सुनाए बैलगाड़ी।
ढेरों बोझा
और सवारी
पीठ पे लादे बैलगाड़ी।
चर्र चूँ…………….....।
कच्ची हों
या पक्की सड़कें
झूम के चलती बैलगाड़ी।
गावं शहर
कस्बे के रस्ते
नाप रही है बैलगाड़ी।
चर्र चूँ…………….....।
सूखे जब
पहियों का तेल
गा के मांगे बैलगाड़ी।
थक जाते जब
इसके बैल
रुक जाती है बैलगाड़ी।
चर्र चूँ चर्र चूँ
गीत सुनाए बैलगाड़ी।
ढेरों बोझा
और सवारी
पीठ पे लादे बैलगाड़ी।
चर्र चूँ…………….....।
कच्ची हों
या पक्की सड़कें
झूम के चलती बैलगाड़ी।
गावं शहर
कस्बे के रस्ते
नाप रही है बैलगाड़ी।
चर्र चूँ…………….....।
सूखे जब
पहियों का तेल
गा के मांगे बैलगाड़ी।
थक जाते जब
इसके बैल
रुक जाती है बैलगाड़ी।
चर्र चूँ चर्र चूँ
गीत सुनाए बैलगाड़ी।
००००००००००
हेमंत कुमार
सुंदर बालगीत. बच्चों के लिए किये गए आपके प्रयास की सराहना करता हूँ.
जवाब देंहटाएंसुंदर ध्वन्यात्मक रचना! नन्हे-मुन्नों को बहुत मज़ा आना चाहिए इसे पढ़कर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल गीत हेमेंत जी। :-)
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएं पढ़कर मन चालीस साल पहले चला जाता है।
जवाब देंहटाएंsundar balgeet
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल गीत
जवाब देंहटाएंनटखट कविता ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.com
सुंदर बालगीत.
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