पर्वत -सागर -माटी - पानी
नए साल की रचो- कहानी ।
खेत हमे दें अन्न ढ़ेर सा
खेत हमे दें अन्न ढ़ेर सा
जल से भरें हो पोखर- ताल ।
बाग- बगीचे हरे भरें हों ,
बाग- बगीचे हरे भरें हों ,
फूलों की सुरभित जयमाल ।
कोयल गाये गीत ख़ुशी के ,
लगे प्रकृति की रानी ।
नए साल की नई कहानी ।
नए साल की नई कहानी ।
नदियां दें सन्देश सृजन का
चलते रहना आठों याम
अमृत बरसे बदल बनकर
इंद्रधनुष सी होवे शाम।
हर दिन कथा -कहानी लेकर
आये प्यारी नानी ।
नये साल की सुनो कहानी।
सारा जग अपने घर जैसा
बैर भाव का रहे ना नाम
मिल- जुल कर दुनिया को बदलें
मिल- जुल कर दुनिया को बदलें
कठिन नहीं है कोई काम ।
आशा -नव उल्लास बिखेरो
बन जाये हर डगर सुहानी
नए साल की बनो कहानी । ।
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