शुक्रवार, 12 जून 2009

सूरज


रोज सबेरे आता सूरज,
हंसता और मुस्काता सूरज,
अंधियारे को दूर भगाकर,
उजियारे को लाता सूरज।
रोज सबेरे--------------।

कभी सुनहली कभी लाल और,
पीली गेंद बनाता सूरज,
रोज सबेरे पूरब में उग,
शाम को पश्चिम जाता सूरज।
रोज सबेरे------------------।

धूप रोशनी गर्मी देकर,
जाड़ा दूर भगाता सूरज,
सतरंगी किरणों से अपनी,
नई छटा बिखराता सूरज।
रोज सबेरे आता सूरज,
हंसता और मुस्काता सूरज।
**********
हेमन्त कुमार

3 टिप्‍पणियां:

  1. Bal lekhan hindi me ek upekshit si vidha hai.Aise me koi bhi prayas taza hawa ke jhonke sa jaan padta hai.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर और प्यारी कविता लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है!

    जवाब देंहटाएं
  3. pyaari kavitaa है...... hemant जी.....
    sooraj तो aasha का sandesh देता है

    जवाब देंहटाएं