शनिवार, 23 मई 2020

एक गिलहरी


एक गिलहरी
बड़े सबेरे मेरे आंगन
एक गिलहरी आती
किट किट कुट कुट
किट किट कुट कुट
अपने दांत बजाती।

उसी समय सारी गौरैया
चूं चूं करती आती
नहीं दिया क्यूं दाना पानी
फ़ुदक फ़ुदक सब गातीं।

झुंड कई चिड़ियों का भी
अपने संग वो लातीं
ढकले में पानी पड़ते ही
सब मिल खूब नहाती।

चावल के दाने मिलते ही
बड़े प्रेम से खातीं
शाम को फ़िर आयेंगे हम सब
कह कर के उड़ जातीं।
0000

डा0हेमन्त कुमार