मंगलवार, 30 जून 2015

पानी है कितना अनमोल

                                                                       
      
       
हम पानी को खूब बहाते
बूँद-बूँद भर लाते लोग
जितना दिन भर खर्च करें वे
उतना नहा बहाते हम
हम पानी को खूब बहाते।


हमको घर बैठे मिल जाता
पाइप के रस्ते से आता
मीलों चलकर गागर भर भर
पानी लेकर आते लोग
हम पानी को खूब बहाते।

सोचो बच्चो तुम भी सोचो
ये पानी कितना अनमोल
इसे बचा कर रखना हमको
जिसको व्यर्थ बहाते लोग
हम पानी को खूब बहाते।
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गीतकार-सुधाकर अदीब
हिन्दी साहित्य के स्थापित कथाकार सुधाकर अदीब जी की अब तक दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।आपकी प्रमुख पुस्तकें हैं--अथ मूषक उवाच,चींटे के पर,हमारा क्षितिज,मम अरण्य,शाने तारीख़,रंग राची(उपन्यास)/मृगतृष्णा, देहयात्रा,उजाले अँधेरे,पगडण्डी (कहानी संग्रह)/हिन्दी उपन्यासों में प्रशासन (आलोचना)/अनुभूति, संवेदना, जानी जग की पीर , हथेली पर जान (काव्य संग्रह)।अदीब जी एक अच्छे साहित्यकार,गीतकार और गायक होने के साथ ही एक बेहतरीन इन्सान हैं।आजकल मीराबाई के जीवन पर एक नया उपन्यास लिख रहे हैं।संप्रति:निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान,लखनऊ। 



गुरुवार, 25 जून 2015

बरखा रानी

झम झम झम झम बरसा पानी
आई प्यारी बरखा रानी
दुखी हुई अब धूप सुहानी
जब से आई बरखा रानी ।


झूम झूम कर नाच रहे हैं
सभी वृक्ष जंगल में
धन्यवाद देते बादल को
मोर पपीहे नाच नाच के ।

खेलो कूदो मौज करो तुम
आज के इस मौसम में
नाव बना लो इक कागज की
तैरा दो उसको पानी में ।

लेकिन कर लो थोड़ी पढ़ाई
नहीं पड़ोगे तुम चिन्ता में
स्कूल खुलेगा अब जल्दी ही
वहां भी खेलोगे पानी में ।
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कवियत्री--
नित्या शेफ़ाली
कक्षा-12 –A
सेण्ट डोमिनिक सेवियो कालेज
लखनऊ





रविवार, 7 जून 2015

बरफ मलाई

बरफ मलाई,बरफ मलाई,
ठंढी मीठी बरफ मलाई।
गर्मी में सबको भाती है,
रंग बिरंगी बरफ मलाई।
बरफ मलाई--------।

गली में टुनटुन घंटी सुन,
दौड़े मुनिया राजू भाई,
फिर सबने हुड़दंग मचाई,
हमको बरफ खिलाओ भाई
बरफ  मलाई----।

घिस घिस करके काका ने फिर,
सबको  मीठी  बरफ   खिलाई,
मुनिया  क्यों  रुठी काका  से,
उसको  खांसी  आती   भाई।

बरफ  मलाई बरफ  मलाई ,
ठंढी   मीठी  बरफ   मलाई ।
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डा0हेमन्त कुमार