बुधवार, 5 अगस्त 2009

बालगीत -बन्दर जी


कुछ बन्दर मेरे बाग में आये
धमाचौकड़ी खूब मचाये
पेड़ से तोड़ के पत्ती खाये
पापा जी को गुस्सा आए।

नजर पड़ी उनकी गमलों पर
लगे नोचने फ़ूलों को सब
बन्दरों ने गिराई गमले की माटी
पापा ने दे मारी लाठी ।

दुम दबा कर बन्दर भागे
पापा पीछे बन्दर आगे
बन्दर बोले पें पें पें पें
हम सब बोले हें हें हें हें ।
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कु0 नित्या शेफ़ाली का बाल गीत
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित

रविवार, 2 अगस्त 2009

आज हमारी छुट्टी है

आज हमारी छुट्टी है
स्कूल से हो गयी कुट्टी है।

सब कुछ उल्टा पुल्टा घर में
झाड़ू पोंछा बर्तन पल में
अब पापा निपटायेंगे
मां की हो गयी छुट्टी है।
आज हमारी छुट्टी-------।

पार्क में सब मिल जायेंगे
मौजें खूब मनायेंगे
हरी घास फ़ूलों के नीचे
सोंधी सोंधी मिट्टी है।
आज हमारी छुट्टी-------।

झूले पतंग और खेल खिलौने
पापा मम्मी भैया दीदी
गोलगप्पे और आलू टिक्की
चटनी सबमें खट्टी है।
आज हमारी छुट्टी है
स्कूल से हो गयी कुट्टी है।
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हेमन्त कुमार