
काले काले बादल आये
सूरज के शरमाने के दिन
गर्मी टाटा करके बोली
मेरे हैं अब जाने के दिन।
मोर नाच कर कहता सबसे
आये खुशी मनाने के दिन
बंधन कोई बांध न पाये
नदिया के इठलाने के दिन।

पलक झपकते छुट्टी बीती
नई क्लास में जाने के दिन
होमवर्क फ़िर गले पड़ गया
पढ़ने में जुट जाने के दिन।
00000000
गीतकार:कौशल पाण्डेय
हिन्दी अधिकारी
आकाशवाणी ,पुणे ।
मोबाइल न0-:09823198116
सूरज के शरमाने के दिन
गर्मी टाटा करके बोली
मेरे हैं अब जाने के दिन।
मोर नाच कर कहता सबसे
आये खुशी मनाने के दिन
बंधन कोई बांध न पाये
नदिया के इठलाने के दिन।

पलक झपकते छुट्टी बीती
नई क्लास में जाने के दिन
होमवर्क फ़िर गले पड़ गया
पढ़ने में जुट जाने के दिन।
00000000
गीतकार:कौशल पाण्डेयहिन्दी अधिकारी
आकाशवाणी ,पुणे ।
मोबाइल न0-:09823198116
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित



शाम को शेर गुफ़ा के सामने बैठा था ।भूख के मारे उसका बुरा हाल था अचानक बंदर पेड़ की डाली से कूदा । उसके हाथों में केले का गुच्छा था । केलों की खुशबू से शेर की भूख और बढ़ गयी ।बंदर ने एक केला छीला ।उसे गबरू के पोपले मुंह में डाल दिया ।



