देखो आये जाड़े के दिन
आलू भरे पराठों के दिन
धूप गुनगुनी मन ललचाए
गिल्ली डंडा हाकी के दिन।
देखो आए----------------।
स्वेटर कोट रजाई के दिन
भुनती आलू घुंघरी के दिन
सुबह शाम सन्नाटा छाए
दिन भर सैर सपाटे के दिन।
देखो आये------------------।
तपनी हुक्का बिरहा के दिन
गुड़मुड़ हो बतियाने के दिन
पीली सरसों मन को भाये
छोटे अपने साये से दिन
देखो आये जाड़े के दिन।
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हेमन्त कुमार
अत्यन्त सहज, बोधगम्य, मनभाने वाली कविता । बच्चों के सृजन का पुण्य कमा रहे हैं आप ! आभार ।
जवाब देंहटाएंतपनी हुक्का बिरहा के दिन
जवाब देंहटाएंगुड़मुड़ हो बतियाने के दिन
पीली सरसों मन को भाये
छोटे अपने साये से दिन
देखो आये जाड़े के दिन।
बहुत सुन्दर रचना!
बहुत सुन्दर बाल रचना् है।बधाई।
जवाब देंहटाएंदेखो आये जाड़े के दिन
जवाब देंहटाएंआलू भरे पराठों के दिन.....मुंह में पानी आ गया
ठंड लगने लगी पढ कर.
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