गुड़िया का ये न्यारा घर,
उसको सबसे प्यारा घर।
झाड़ पोंछ कर इसको रखती,
चंदा सा उजियारा घर।
नीली पीली पन्नी लेकर,
हमने बहुत संवारा घर।
धूल न इस पर पड़ने दी है,
हमने रोज बुहारा घर।
आओ सब मिल खेलें इसमें,
ये मेरी गुड़िया का घर।
इसमें मेरी गुड़िया रहती,
ये है प्यारा गुड़िया घर।
उसको सबसे प्यारा घर।
झाड़ पोंछ कर इसको रखती,
चंदा सा उजियारा घर।
नीली पीली पन्नी लेकर,
हमने बहुत संवारा घर।
धूल न इस पर पड़ने दी है,
हमने रोज बुहारा घर।
आओ सब मिल खेलें इसमें,
ये मेरी गुड़िया का घर।
इसमें मेरी गुड़िया रहती,
ये है प्यारा गुड़िया घर।
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कवि---डा0 अरविन्द दुबे
पेशे से बच्चों के चिकित्सक डा0 अरविन्द दुबे के अन्दर बच्चों को साधने (हैण्डिल करने),उनके मनोभावों को समझने,और रोते शिशुओं को भी हंसा देने की अद्भुत क्षमता है। उनकी इसी क्षमता ने उन्हें लेखक और कवि भी बना दिया। डा0 अरविन्द कविता ,कहानी के साथ हिन्दी में प्रचुर मात्रा में विज्ञान साहित्य भी लिख रहे हैं।
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित
पेशे से बच्चों के चिकित्सक डा0 अरविन्द दुबे के अन्दर बच्चों को साधने (हैण्डिल करने),उनके मनोभावों को समझने,और रोते शिशुओं को भी हंसा देने की अद्भुत क्षमता है। उनकी इसी क्षमता ने उन्हें लेखक और कवि भी बना दिया। डा0 अरविन्द कविता ,कहानी के साथ हिन्दी में प्रचुर मात्रा में विज्ञान साहित्य भी लिख रहे हैं।
हेमन्त कुमार द्वारा प्रकाशित
सुन्दर बाल गीत है।बधाई।
जवाब देंहटाएंबढ़िया बाल कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा बालगीत।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा बालगीत
जवाब देंहटाएंबहुत बडिया बाल कविता है डा. अरविन्द दुबी जी को बहुत बहुत बधाई घर की तस्वीर भी बहुत सुन्दर है।
जवाब देंहटाएंगुड़िया का घर बहुत सुंदर है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा बालगीत है।बचपन के दिन ताजा हो गये।
जवाब देंहटाएंहेमन्त जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा प्रयास है। क्रपया मेर ब्लाग भी देखें।
http://kaviyonkichopal.blogspot.com
बहुत प्यारा बाल गीत
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