जाड़ा ताल ठोंक जब बोला,
सूरज का सिंहासन डोला,
कुहरे ने जब पांव पसारा,
रास्ता भूला चांद बिचारा।
छिपे सितारे ओढ़ रजाई,
आसमान नहिं दिखता भाई,
पेड़ और पौधे सिकुड़े सहमे,
झील में किसने बरफ़ जमाई।
पर्वत धरती सोये ऐसे,
किसी ने उनको भंग पिलाई,
सुबह हुयी सब जागें कैसे,
मुर्गे ने तब बांग लगाई।
जाड़ा ताल ठोंक जब बोला,
सूरज का सिंहासन डोल॥
000
हेमन्त कुमार
सूरज का सिंहासन डोला,
कुहरे ने जब पांव पसारा,
रास्ता भूला चांद बिचारा।
छिपे सितारे ओढ़ रजाई,
आसमान नहिं दिखता भाई,
पेड़ और पौधे सिकुड़े सहमे,
झील में किसने बरफ़ जमाई।
पर्वत धरती सोये ऐसे,
किसी ने उनको भंग पिलाई,
सुबह हुयी सब जागें कैसे,
मुर्गे ने तब बांग लगाई।
जाड़ा ताल ठोंक जब बोला,
सूरज का सिंहासन डोल॥
000
हेमन्त कुमार
सुंदर कविता! नया वर्ष हो सबको शुभ!
जवाब देंहटाएंजाओ बीते वर्ष
नए वर्ष की नई सुबह में
महके हृदय तुम्हारा!
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जवाब देंहटाएंहेमंत जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व सरल भाषा में जाड़े का अच्छा वर्णन किया है आप ने. आप को बहुत बहुत बधाई. आप का यह ब्लॉग पढ़ कर अच्छा लगा .
नव वर्ष की शुभ कामनायों के साथ
आशु
हेमंत जी,
जवाब देंहटाएंआप का यह नया ब्लॉग पढ़ कर बहुत अच्छा लगा . पढ़ कर बड़ा आनंद आया. इतना अच्छा लगा इस से प्रेरित हो कर मैंने बच्चो के लिए इक रचना लिखी है अपने ब्लॉग पर आये. आप ज़रूर पढ़े और मुझे अपनी राये देना मतभूले.
आशु
सूरज का सिंहासन तो डोला है!!
जवाब देंहटाएंवर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
बेहद पसंद आई।
जवाब देंहटाएंapki kavita me sabse khas baat ye lagi ki asan bhasha me likhi h aapne...
जवाब देंहटाएंshubhkamnaye....
छिपे सितारे ओढ़ रजाई,
जवाब देंहटाएंआसमान नहिं दिखता भाई,
पेड़ और पौधे सिकुड़े सहमे,
झील में किसने बरफ़ जमाई।
waah waah
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने!
जाड़ा ताल ठोकेगा तो तो सूरज तो उसके सामने शक्तिहीन हो ही जायेगा ।उपमाए बहुत सुन्दर चुन कर दी है सितारों का रजाइ ओढना, चांद का रास्ता भूलना ,धरती का किसी नशे मे सोना । मैने ऐसा सुना है कि जिस गांव में मुर्गा नही बोलता वहां सबेरा नही होता
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar hai...rang birange phoolon se mehkti hui hai aapki kavita...bahut khoob
जवाब देंहटाएंaadarniya sir,
जवाब देंहटाएंkavita likhi gajab ki aapane
thandi ke mousam par.
ab to rangeeli baraf raseeli davat denge garmi par.
bachhaa bhi halke ho jayen imthan ke bukhar se .fir jee bhar kar karenge masti,
maouj uudayenge din bhar.
Bahut sundar..padhkar maja aa gaya.
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंkai ino se koi nai kavita nahi padne ko mili aapki..
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