एक गांव के किनारे एक खेत था। खेत में चूहों के कई परिवार रहते थे। सारे चूहे चुहिया रात में अपनी बिलों से निकलते और घूम घूम कर अनाज खाते।।दिन में सब अपनी बिलों में घुसे रहते। वक्त जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की सहायता करते थे।
उसी खेत में मुनमुन चुहिया भी अपने मम्मी पापा के साथ रहती थी। मुनमुन पढ़ने लिखने, खेलकूद हर चीज में तेज थी। सभी उसकी तारीफ करते थे।फिर भी मुनमुन अक्सर उदास रहती।उसकी उदासी का सबसे बड़ा कारण यह था कि वह मां बाप की अकेली लड़की थी।उसके कोई भाई नहीं था।
हर साल राखी का दिन आने पर सारी चुहिया लोग अपने-अपने भाइयों को राखी बांधती थी। पर मुनमुन अपनी बिल में उदास बैठी रहती। इस बात का दुःख उसके मम्मी पापा को भी होता था।
इस साल भी राखी वाले दिन मुनमुन खेत में एक तरफ उदास बैठी थी। सुबह से ही हर चुहिया अपने भाई को राखी बांध रही थी। सारे चूहे अपने अपने गले में सुन्दर राखियां बॅंधवाए घूम रहे थे। बेचारी मुनमुन अकेली बैठी चूहों चुहियों को आते जाते देख रही थी।मुनमुन को वहां बैठे दो तीन घण्टे हो चुके थे।।उसी समय मोती कुत्ता उधर टहलाता हुआ आ गया। मोती ने मुनमुन को अकेले बैठा देखा तो उसके पास चला आया। मोती ने मुनमुन से पूछा-
मुनमुन रानी मुनमुन रानी
क्यों बैठी हो यहां अकेले
मुझे सुनाओ अपनी कहानी।
मुनमुन दुःखी मन से बोली, ‘
‘कुत्ते भाई कुत्ते भाई
मैं अकेली कुत्ते भाई
नहीं है मेरा कोई भाई,
किसको राखी बांधू भाई
क्या तुम बनोगे मेरे भाई,
मुझसे राखी बंधवाओ भाई।
मुनमुन की बात सुनकर मोती कुत्ता हंसने लगा।वह थोड़ी देर तक हंसता रहा।फिर बोला,
मुनमुन रानी मुनमुन रानी
तुम चुहिया हो, मैं कुत्ता हूँ
कैसे बनूं तुम्हारा भाई,
चूहे को किसी बना लो भाई
उसी को राखी बांधो भाई।
मोती की बात सुन कर मुनमुन और दुःखी हो गयी। मोती अपनी दुम हिलाता हुआ वहां से चला गया। मुनमुन वहीं बैठी रही।
थोड़ी देर बाद ही वहां घूमता घामता मटरू बछड़ा आ गया। मुनमुन उसे देख थोड़ा खुश हुई। उसने सोचा शायद यह मेरा भाई बन जाएगा। जब वह नजदीक आ गया तो मुनमुन ने उससे भी वही बात कही। पर मटरू तो और शैतान निकला। वह बोला,
तू है काली छोटी चुहिया
मैं हूं गोरा तगड़ा बछड़ा
क्यों बनूं मैं तेरा भाई,
बिल्ले को ही बना लो भाई।
बिल्ले का नाम सुनते ही मुनमुन डर गयी। मटरू बछड़ा उछलता कूदता वहां से दूर चला गया। मुनमुन ने सोचा मैं अब घर वापस चलूं। कहीं सममुच कोई बिल्ला यहां न आ जाए। वह वहां से जाने ही वाली थी कि सचमुच में वहां कालू बिल्ला आ गया। उसे देख मुनमुन डर गयी। कालू बिल्ला नजदीक आ गया और बोला,
मुनमुन रानी मुनमुन रानी,
क्यों बैठी हो यहां अकेली
मुझे बताओ अपनी कहानी।
मुनमुन पहले तो चुप रही। फिर डरते डरते बोली,
बिल्ले भाई बिल्ले भाई,
मैं अकेली बिल्ले भाई,
नहीं है मेरे कोई भाई,
किसको राखी बॉंधू भाई,
क्या तुम बनोगे मेरे भाई,
मुझसे राखी बंधवा लो भाई।
मुनमुन की बात सुनकर कालू बिल्ले की आंखों में आंसू आ गये। वह भरे गले से बोला,
मुनमुन रानी मुनमुन रानी
मैं भी तो मां बाप का अकेला
नहीं है मेरी कोई बहना,
खुशियां सारी मुझे मिलेगी
तुम बन जाओ यदि मेरी बहना।
जाओ जल्दी राखी लाओ,
बांधो मुझको मेरी बहना।
कालू बिल्ले की बात सुनते ही मुनमुन चुहिया खुशी से रोने लगी। वह जल्दी से भाग कर अपनी बिल में गयी। उसने वहां अपने पापा मम्मी को भी यह खुश-खबरी दी। और एक तश्तरी में राखी, फूल, रोली, मिठाई वगैरह सजा कर ले आई। पीछे पीछे उसके मम्मी पापा भी आ गये। कालू बिल्ला खेत में बैठा उसका इन्तजार कर रहा था। मुनमुन राखी ले कर आई तो कालू उसके सामने आकर बैठ गया। मुनमुन ने पहले उसके माथे पर तिलक लगाया। फिर उसके अगले पंजे में उसने राखी बांधी। राखी बांध कर मुनमुन ने एक खोए का लड्डू कालू बिल्ले के मुंह में डाल दिया। कालू ने भी इमरती का एक छोटा टुकड़ा मुनमुन के मुंह में रख दिया। दोनों मिठाईयॉं खा रहे थे। मारे खुशी के भाई बहन दोनों की आंखों में आंसू आ गये।
पास में ही खड़े मुनमुन के मम्मी पापा और दूसरे चूहे चुहिया भाई बहन के इस सुखद मिलन को आश्चर्य से देख रहे थे।
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हेमन्त कुमार
बहुत सुन्दर कथा.
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
भाई-बहिन के पावन पर्व रक्षा बन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएं--
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/255.html
कितना प्यारा ब्लॉग बनाया है हेमंत जी, बधाई...
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर्व की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.
बढिया बाल कथा .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंयह कहानी मेरी बेटी को बहुत पसंद आई. सुंदर कहानी लिखने और रक्षाबंधन, दोनों के लिए ढेर सारी बधाई.
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर कित्ती प्यारी कहानी ...रक्षाबंधन तो कित्ता प्यारा त्यौहार है...ढेर सारी बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएं______________________
"पाखी की दुनिया' में 'मैंने भी नारियल का फल पेड़ से तोडा ...'
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जवाब देंहटाएंकुछ भी हो, पर छोड़ेगा नहीं ... ... .
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बहुत प्यारी कहानी..मैं अपनी छोटी सी भांजी को अक्सर आपकी ये कहानियाँ सुनाती रहती हूँ..कभी मौका मिला तो आपका प्यारा सा ब्लॉग भी दिखाऊँगी
जवाब देंहटाएंवाह१ बहुत बढिया कहानी. अच्छा लगा ब्लॉग पर आ के.
जवाब देंहटाएंसारे चूहे अपने अपने गले में सुन्दर राखियां बॅंधवाए घूम रहे थे।
जवाब देंहटाएंहेमंत जी पैर में ही बंधवा देते गले में जरा ज्यादा काश गयी तो .....हा...हा.हा....
दुआ है ये आपके चूहे बिल्ले का बहन भाई का प्यार बना रहे ....!!
bahut sundar katha
जवाब देंहटाएंआपका बहुमूल्य टिपण्णी और उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत और शानदार कथा! आपका हर एक पोस्ट मुझे बहुत पसंद है!
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंnice to see you.
जवाब देंहटाएंtake some awards you like and share with your friends.
Happy Sunday!
Hello Hermant
जवाब देंहटाएंThanks for your nice compliment on my blog.
Your work for all the children is also very nice an colorful,
keep on the good work.
Regards, Joop ( Holland )
do you write in English?
जवाब देंहटाएंU r invited to Attend Thursday Poets Rally week 28. Please sign in below…
http://thursdaypoetsrallypoetry.wordpress.com/2010/09/08/agreement-4-poets-rally-week-28-participants/
Poetry awards are to be given upon meeting the requirements…
As first time participant, u r to visit and comment for 18 poets from participants list.
Have fun!
भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें! गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंThanks for all the sweet comments.
जवाब देंहटाएंHappy Monday!
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंआपने नए पोस्ट का इंतज़ार है!
मुझे ये प्यारी सी कहानी बहुत ही पसंद आयी...
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी और उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंyou have very cute children....
जवाब देंहटाएंby the way can I ask again your English blog...
Thank you a lot and God bless...
बहुत सुन्दर कहानी मुझे पसंद आई !
जवाब देंहटाएंbohut sundar likha hai... bachpan ki yaad aa gayi ... tab ye saari kahaniya kitni aachi lagti thi.
जवाब देंहटाएंkeep writing.