बुधवार, 29 सितंबर 2010

पहाड़


कहीं पे तो आकाश को छूते
कहीं पे आ धरती पर मिलते
कहीं पे नीचे कहीं पे ऊंचे
ऊंचे नीचे नीचे ऊंचे
 कितने सुन्दर हैं ये पहाड़।

कहीं पे काले कहीं पे भूरे
कहीं बरफ़ से ढके हुये तो
कहीं बड़े पेड़ों में छुपके
हरे भरे दिखते ये पहाड़
कितने सुन्दर हैं ये पहाड़।

कहीं पे कल कल का संगीत
कहीं पे कलरव पाखी का
कहीं दिखे जो देश के दुश्मन
तुरत भुजायें लेते तान
कितने सुन्दर हैं ये पहाड़।
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  हेमन्त कुमार